नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भाजपा के सांसदों एवं विधायकों को आठ नवंबर से 31 दिसंबर तक के अपने बैंकिंग लेनेदेन का ब्यौरा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सौंपने को लेकर दिये गये निर्देश को ‘पाखंड’ करार दिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि स्वतंत्र समिति के जरिए सभी पार्टियों के सांसदों और विधायकों के बैंकिंग ब्यौरे की जांच होनी चाहिए।
नोटबंदी के फैसले का आठ नवंबर को ऐलान किए जाने से पहले ही भाजपा नेताओं को इसकी जानकारी होने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा कि प्रमुख लोगों की एक स्वतंत्र समिति के माध्यम से सभी पार्टियों के सांसदों-विधायकों के पिछले साल के बैंकिंग विवरण की जांच होनी चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि आप के विधायक और सांसद ऐसी किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।
एक वीडियो संदेश में केजरीवाल ने दावा किया कि नोटबंदी का फैसला लागू होने से तीन-चार महीने पहले की अवधि में भाजपा के नेताओं ने बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदीं और ऐसे में इसकी जांच की जरूरत है।
इससे पहले, आप ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता नोटबंदी के फैसले के बारे मेें आठ नवंबर से पहले ही ‘अवगत’ थे और केंद्र के इस फैसले के ऐलान से पहले ही अपने ‘बेनामी पैसे का निपटारा कर दिया।’
पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने संवाददाताओं से बातचीत में इस संदर्भ में अमित शाह के प्राधिकार पर सवाल किया और कहा कि यह पूरा ब्यौरा भाजपा अध्यक्ष की बजाय आयकर विभाग को दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘अमित शाह के क्या प्राधिकार है? आयकर विभाग को ब्यौरा दिया जाना चाहिए। यह खुलासा सार्वजनिक किया जाना चाहिए।’’
आशुतोष ने कहा, ‘‘भाजपा नेताओं के पास आठ नवंबर से पहले ही इस बारे में पूरी जानकारी थी। अगर आठ नवंबर से छह महीने पहले की बैंकिंग लेनदेन की जांच की जाए तब वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा सांसदों और विधायकों को अपने बैंकिंग लेनदेन शाह को सौंपने का प्रधानमंत्री का निर्देश ‘एक और नाटक’ है जिसका मकसद जनता की आंख में धूल झोंकना है।