लखनऊ। पांच नवम्बर 1992 से वजूद में आई समाजवादी पार्टी अब तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही। उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के दोनो खेमों के अपने-अपने हठ पर कायम रहने की वजह से सुलह समझौते के आसार अब खत्म होते नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पार्टी से निष्कासन के बाद स्थिति और गंभीर हो गई। अखिलेश समर्थक जगह- जगह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वे आज मुलायम सिंह यादव के खिलाफ नारेबाजी तो नहीं कर रहे हैं लेकिन चाहते हैं कि अखिलेश यादव का निष्कासन वापस लिया जाए । निष्कासन के खिलाफ मुलायम भसह यादव के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र आजमगढ के जिला अध्यक्ष हवलदार यादव ने इस्तीफा दे दिया है।
दोनो खेमों ने आज बैठक बुलाकर शक्तिपरीक्षण जैसी स्थिति पैदा कर दी है। मुलायम सिंह यादव ने राज्य विधानसभा के लिए घोषित 393 प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधानसभा सदस्यों, विधान परिषद सदस्यों और अपनी सूची के उम्मीदवारों को बुलाया है।
मुख्यमंत्री की बैठक उनके सरकारी आवास पर शुरु हो गई है। बैठक में कितने मंत्री या विधायक शामिल हैं। इसकी सटीक जानकारी तो नहीं मिल सकी है लेकिन सूत्रों के अनुसार इनकी संख्या 150 से अधिक हैं। बैठक में कितने मंत्री भाग ले रहे हैं इसकी सटीक जानकारी तो नहीं मिल सकी है लेकिन सूत्रों का दावा है कि इसमें 24 मंत्री मौजूद हैं।
उधर, मुलायम सिंह यादव द्वारा बुलाई गई बैठक में भी लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया है। सपा कार्यालय में शिवपाल भसह यादव, अतीक अहमद, नारद राय, राजकिशोर सिंह, अशोक बाजपेयी, मधुकर जेटली सरीखे नेता पहुंच गए हैं। मुलायम भसह यादव की बैठक में मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत नहीं दी गई है।
दोनो खेमो के समर्थकों में टकराव की आशंका के मद्देनजर मुख्यमंत्री आवास और सपा कार्यालय के आसपास के क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात हैं। कमांडों की भी तैनाती की गई है। फायर ब्रिगेड की कई गाडियां मौके पर खड़ी की गई हैं। प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद हैं।