कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के दम पर अमेरिका MIT पहुंची सातवीं पास मालविका जोशी

Samachar Jagat | Wednesday, 31 Aug 2016 09:37:00 AM
mumbai girl malvika joshi called by america MIT

मुंबई। जिस एमआईटी संस्थान में दाखिला लेने का सपना दुनिया का हर छात्र देखता है। जहां दुनिया के होनहारों को दाखिला लेने के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगाने के बाद भी दाखिला नहीं मिल पाता वहां मुंबई की एक आम लडक़ी को दाखिले के लिए बुलावा आया है।

जी हां! हम बात कर रहे हैं अमेरिका के प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) की जहां से मुंबई मालविका राज जोशी को एमआईटी से विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिली है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि मालविका के पास आठवी तक की मार्कशीट नहीं है।  लेकिन अपनी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग योग्यता की बदौलत उनका दाखिला अमेरिका के प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में होने जा रहा है। 

मालविका ने प्रोग्रामिंग ओलंपियाड (इंटरनेशनल ओलंपियाड ऑफ इन्फॉरमेटिक्स) में तीन बार (दो रजत और एक कांस्य) पदक हासिल किया था, जिसके बाद उन्हें बिना डिग्री के ही एमआइटी में दाखिला मिल गया। 

एमआईटी में एक प्रावधान है कि वह विभिन्न ओलंपियाड (गणित, भौतिकी या कंप्यूटर) में मेडल जीतने वाले विद्यार्थियों को अपने यहां दाखिला देता है। यह मालविका का मेडल ही था जिसने उन्हें इस प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में न केवल दाखिला दिलाया बल्कि अपने सपनों को पूरा करने का मौका भी दिया।

मालविका जब दादर पारसी यूथ एसेंबली स्कूल में सातवीं की छात्रा थीं और बेहतर पढ़ाई कर रही थीं जब उनकी मां ने उन्हें स्कूल से हटाने का फैसला किया।

मालविका कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में काफी अच्छा काम रहीं थीं, यह देख उनकी मां ने उन्हें इस क्षेत्र में और निपूर्ण बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। मालविका को यह विषय पंसद भी था और मालविका की दिलचस्पी देखकर उनकी मां ने और उत्साहित किया।

 मालविका की मां सर्टिफिकेट से ज्यादा ज्ञान को तरजीह देती हैं और एक अलग तरह का रास्ता चुनने में यकीन रखती हैं। इसी बल पर मालविका यहां तक पहुंच पाईं।

मालविका अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहती हैं,  मैंने चार साल पहले ही स्कूल छोड़ दिया था। उसके बाद मैंने कई विषयों की पढ़ाई की, प्रोग्रामिंग उनमें से एक था। मुझे प्रोग्रामिंग काफी अच्छा लगा और मैंने दूसरे विषयों की अपेक्षा इस पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया।



 

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