जुजवा (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनका सपना है कि 2022 में जब भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा हो तब देश के प्रत्येक परिवार के पास अपना मकान हो। साथ ही उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि किसी को भी केन्द्र की इस योजना का लाभ लेने के लिए एक रुपया रिश्वत नहीं देनी पड़ी है।
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मोदी ने कहा कि उनकी सरकार में 'कमीशन’ (दलाली) के लिए कोई जगह नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार में अगर दिल्ली से एक रुपया चलता है तो प्रत्येक गरीब के घर में 100 पैसे ही पहुंचते हैं। गौरतलब है कि एकबार राजीव गांधी ने कहा था कि अगर दिल्ली से एक रुपया चलता है तो गरीब के पास सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं।

वलसाड के जुजवा गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थियों से बातचीत करने और उनके ई-गृहप्रवेश में हिस्सा लेने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि योजना के तहत बनने वाले मकानों की गुणवत्ता बहुत अच्छी है और किसी को एक रुपया रिश्वत देने की जरूरत नहीं है। केन्द्र की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत गुजरात में एक लाख से भी ज्यादा मकान बने हैं।
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मोदी ने कहा, कि प्रधानमंत्री आवास योजना की महिला लाभार्थियों से बातचीत के दौरान मैं उनके पीछे बने मकानों को देख रहा था। आपको भी आश्चर्य हो रहा होगा कि क्या योजना के तहत इतनी अच्छी गुणवत्ता के मकान भी बन सकते हैं। यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि मेरी सरकार में कमीशन देने का कोई चलन नहीं है। यदि दिल्ली से एक रुपया चलता है तो गरीब के घर में पूरे 100 पैसे पहुंचते हैं।

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार में यह 'हिम्मत’ है कि ऐसे में जब पूरा देश देख रहा है, मीडिया मौजूद है, वह महिला लाभार्थियों से सवाल कर सकते हैं कि क्या उन्होंने मकान पाने के लिए कोई रिश्वत या कमीशन दिया है। जवाब में माताएं और बहनें पूरे संतोष के साथ कह सकती हैं कि उन्हें मकान नियमानुसार मिले और उन्हें एक रुपया रिश्वत नहीं देनी पड़ी।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि 2022 तक देश के प्रत्येक परिवार के पास अपना मकान हो। उन्होंने कहा, ''गुजरात ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। इसी ने मुझे तय समय के भीतर सपनों को पूरा करना सिखाया है। मेरा सपना है कि 2022 में जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा हो, तो एक भी परिवार ऐसा नहीं होना चाहिए जिसके पास अपना मकान नहीं हो।
आवास योजना के लाभार्थियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए हुए बातचीत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, मां-बहनें पूरे संतोष के साथ कह सकती हैं कि उन्हें नियमानुसार मकान मिले हैं और उन्हें एक रुपया रिश्वत नहीं देनी पड़ी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने मकानों की गुणवत्ता को देखकर आपने भी सोचा होगा कि क्या सरकारी मकान भी ऐसे हो सकते हैं। सरकार ने धन दिया है, लेकिन उसके साथ यह मकान परिवारों के पसीने से बने हैं। परिवार तय करता है कि मकान कैसा होगा, क्या सामान इस्तेमाल होगा और वह कैसे बनेगा। हमारा यकीन ठेकेदारों में नहीं बल्कि परिवारों में था। परिवार जब अपना मकान बनाता है तो वह सबसे अच्छा बनाता है।