नई दिल्ली। एक अदालत ने यहां एक व्यक्ति को अलग रह रही उसकी पत्नी तथा दो बच्चों को 21 हजार रूपये का मासिक गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया और व्यक्ति की खिंचाई करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा एक वास्तविकता है और यह जरूरी नहीं कि इसमें शारीरिक चोट ही पहुंचाई जाए।
अदालत ने व्यक्ति की यह दलील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि महिला यह साबित नहीं कर सकी कि उसे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाई गई।
अदालत ने कहा, ‘‘सिर्फ यह तथ्य कि वह उस पर हुए कथित अत्याचार के कोई मेडिकल दस्तावेज पेश करने में नाकाम रही, उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल निष्कर्ष की इजाजत नहीं देता।’’
अदालत ने कहा कि यह एनडीएमसी कर्मी उससे अलग रह रही पत्नी तथा दो नाबालिग बच्चों के प्रति लापरवाह था क्योंकि उसने अलग होने के बाद कभी उनका ख्याल रखने का प्रयास नहीं किया।