नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1,000 रपए के पुराने नोटों का चलन बंद करने के नौ दिन बाद भी राष्ट्रीय राजधानी में लोगों को पुराने नोट बदलने और अपनी जरूरत के सामान खरीदने के लिए पैसे जुटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्लीवासियों की मुश्किलें आज भी कम होती नहीं दिखीं और वे बैंकों एवं एटीएम के बाहर पैसों के लिए लंबी कतारों में खड़े रहे।
एटीएम और बैंकों में नकदी खत्म होने के साथ लोगों का सब्र भी जवाब देने लगा और कई जगह तेज बहसबाजी हुई।
एक बैंक अधिकारी ने कहा, ‘‘नौ दिन हो गए हैं लेकिन बैंकों के बाहर लंबी कतारों में कोई कमी नहीं आयी है और हमने भीड़ से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात किए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन लोगों में घबराहट है कि बैंकों में नकदी खत्म हो जाएगी और इसी वजह से वे बड़ी संख्या में शाखाओं के बाहर कतारों में लग रहे हैं।’’
कल शहर के लाल कुआं इलाके में कतार में खड़े 48 साल के एक व्यक्ति की कथित रूप से दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गयी। वह कथित तौर पर वहां नोट बदलने के लिए आठ घंटे से ज्यादा समय से खड़ा था।
यूर विहार में रहने वाले जतिन कुमार ने कहा, ‘‘मैं 500 और 1,000 रपए के अमान्य नोट बदलने के लिए गया लेकिन लंबी कतार लगी हुई थी। मैंने शाम चार बजकर 20 मिनट तक इंतजार किया और खाली हाथ लौट गया।’’
शहर के कई हिस्सों में रेजीडेंट वेलफेयर एसोसियेशन आरडब्ल्यूए और गैर सरकारी संगठनों के कई स्वयंसेवकों ने बैंकों के बाहर कतारों में खड़े लोगों के लिए चाय, पानी, अल्पाहार सहित कई चीजों की व्यवस्था की।
पर्याप्त मात्रा में पैसे ना होने के कारण लोगों को दूध, सब्जियां, दवाइयां जैसी जरूरी चीजें खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
शहर के कई अस्पतालों में मरीजों और उनके घरवालों को दवाइयां, खाना खरीदने और परिवहन के लिए वाहन की व्यवस्था करने में दिक्कतें हुर्इं।
बेचैन भीड़ को नियंत्रित करने के लिए शहर के एटीएम और बैंकों में अद्र्धसैनिक बल एवं दिल्ली पुलिस के कर्मी तथा त्वरित प्रतिक्रिया बल की 200 टीमें तैनात की गयी हैं।