नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बीच कें सरकार ने आज बताया कि ऐसा कोई निर्णायक अध्ययन उपलब्ध नहीं है जिससे यह साबित हो कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में धान की पराली जलाने से दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।
हालांकि कें सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने पर प्रतिबंध है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अनिल माधव दवे ने लोकसभा में आज एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने जनक राम, जोस के मणि, राम चरित्र निषाद तथा कई अन्य सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया कि ऐसा कोई निर्णायक अध्ययन उपलब्ध नहीं है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में धान की पराली जलाने से राजस्थान, दिल्ली आदि में वायु गुणवत्ता हमेशा प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ट्राजेक्टरी विश्लेषण से पता चलता है कि पराली जलाने से निकलने वाला धुआं तथा अन्य बायोमास उत्सर्जन दिल्ली की ओर आने वाली हवा के जरिए दिल्ली में आ जाते हैं।
दवे ने साथ ही बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में पराली जलाने पर प्रतिबंध है। उन्होंने बताया कि सेटेलाइट चित्रों से यह पता चलता है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हिस्सों में खेतों में धान की पराली जलाने पर लगाए गए प्रतिबंध को पूरी तरह से क्रियान्वित नहीं किया गया है तथा अधिक मात्रा में पराली जलाई जा रही है।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने के मामले पिछली फसल कटाई के बाद से बढ़े हैं, क्योंकि किसान अपने खेतों को अगले बुवाई सीजन के लिए तैयार करते हैं। दवे ने बताया कि पराली जलाने पर लगाए गए प्रतिबंध के उल्लंघन की रिपोर्टें राज्य सरकारों से प्राप्त हुई हैं तथा कें ने उनसे अनुरोध किया है कि वे इस प्रतिबंध को लागू करें।