नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक विमर्श में एशियाई लोकतंत्रों का योगदान उनका आर्थिक एवं राजनीतिक दर्ज़ा बढ़ने के साथ बढ़ना जरुरी है और उन्होंने इस बात पर बल दिया कि लोकतांत्रिक मूल्यों की जड़ें हिदू और बौद्ध सभ्यताओं में समायी हुई हैं।
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मोदी ने तोक्यो में 'एशिया में साझे मूल्य एवं लोकतंत्र’ विषय पर 'संवाद’ नामक संगोष्ठी के मौके पर एक वीडियो संदेश में यह टिप्पणी की जिसे उन्होंने ट्विटर पर डाला। जापान के प्रधानमंत्री शिजो आबे ने इस कार्यक्रम में अपना विचार व्यक्त किया। यह संवाद का चौथा संस्करण है।
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मोदी ने ट्वीट किया, हठधर्मिता नहीं बल्कि खुलापन, विचारधारा नहीं बल्कि दर्शन पर परस्पर संवाद लोकतांत्रिक भावना के हमारे साझे धरोहर के अंतर्गत आते हैं। एशिया के दो सबसे पुराने धर्मों - हिदुत्व और बौद्धधर्म में संवाद की यह दार्शनिक एवं सांस्कृतिक धरोहर हमें बेहतर समझ को बढ़ावा देने में मदद करती है।
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उन्होंने कहा कि परस्पर समायोजन एवं सम्मान से लोकतंत्र को मदद मिलती है। दूसरों के लिए सहृदयता, आत्मसंयम, परस्पर सम्मान समेत एशिया के मूलभूत मूल्यों की ऐतिहासिक जड़ें 2300 साल पहले की सम्राट अशोक की राजाज्ञाओं में मिलती हैं। इन मूल्यों ने एशिया में लोकतंत्र की संस्कृति का संपोषण किया है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दसवीं सदी में राजा चोल के शासन के दौरान के तमिलनाडु के ऐतिहासिक सबूत बताते हैं कि मैग्ना कार्टा से भी पहले ही मतदान एवं चुनाव की एक विस्तृत प्रणाली चलन में थी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बस मतदान की एक प्रणालीभर नहीं है बल्कि आत्मसंयम और परस्पर सम्मान के उसके मूलभूत मूल्य उसे सभी के लाभ के लायक बनाते हैं।