नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने किसी खास शख्सियत को कुलपति नियुक्त करने संबंधी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एएमयू की दलील पर प्रतिवाद किया और कहा कि क्या इसका मतलब यह है कि ‘किसी गायक, खिलाड़ी या संगीतकार’ का इस प्रतिष्ठित कार्य के लिए चयन किया जा सकता है ।
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूण एवं न्यायाधीश एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि क्या शिक्षा क्षेत्र से अलग किसी व्यक्ति की नियुक्ति की जा सकती है? पात्रता क्या है? क्या कोई योग्य नहीं है, कोई पात्रता नहीं है, कोई सर्च कमेटी नहीं है...जो नियुक्ति का प्रस्ताव दे सके? क्या कोई भी कुलपति बन सकता है?
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन की उस दलील पर कड़ा संज्ञान लिया कि किसी प्रमुख हस्ती के नाम पर विचार हो सकता है और कुलपति के तौर पर उनकी नियुक्ति भी हो सकती है।
अपनी दलील पर जोर देते हुए रामचंद्रन ने उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का हवाला दिया जो एक प्रमुख हस्ती होने के तौर पर 2000-02 में एएमयू के कुलपति रहे। हामिद अंसारी राजनयिक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विशिष्ठ नौकरशाह, सेना के जनरल, राजनयिक विशिष्ठ व्यक्ति की पात्रता के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर आसीन हो चुके हैं।
विश्वविद्यालय ने कहा कि विशिष्ठ व्यक्तियों को कुलपति नियुक्त किए जाने की परंपरा रही है।
पीठ ने इस मामले पर सुनवाई को छह दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया जैसा कि मामले में एक पक्ष के वकील ने आग्रह किया था। इससे पहले, केंद्र ने कहा था कि उसने नियुक्ति को लेकर ‘कठोर’ रवैया नहीं अपनाया और तीन लोगों के नाम राष्ट्रपति के पास भेज दिए।