राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि पंचायती प्रणाली के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का भारत का लंबा इतिहास रहा है और इसके अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान के लिए प्रमुख देश के रूप में उभरने की क्षमता है।
मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत में अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान के लिए एक प्रमुख देश के
रूप में उभरने की क्षमता है, क्योंकि पंचायत प्रणाली से ही विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का इसका लंबा इतिहास रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत में स्वतंत्रता के पहले से ही मध्यस्थता को लेकर अनेक कानून रहे हैं और समय-समय पर इसमें संशोधन किए जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में पिछले महीने मध्यस्थता एवं समाधान को मजबूत करने की दिशा में राष्ट्रीय पहल शुरू की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह घोषणा की है कि वैकल्पिक विवाद निपटारे के लिए प्रणाली विकसित करना उनकी प्राथमिकता होगी।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में विचार-विमर्श के तरीके और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता एवं समाधान की एक स्वस्थ और स्थायी संस्कृति को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध भारत के लिए यह महत्वपूर्ण बात है कि आठ देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो इस आयोग की स्थापना से ही इसका सदस्य है।