चेन्नई। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने स्वैच्छिक नेत्रदान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया हैं। उन्होंने कहा कि इस 'उत्तम आचार' को स्कूलों में बच्चों में अवश्य समाहित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस पहल में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को शामिल करने की आवश्यकता है। साथ ही आंखों की व्यापक देखभाल सेवाएं प्रदान करने के केंद्र सरकार के प्रयासों को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों के समर्थन की आवश्यकता है।
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उन्होंने 32 वें इंट्राओकुलर इम्प्लांट एवं रिफ्रैक्टिव सर्जरी सम्मेलन में कहा हैं कि आंखों के चिकित्सक और सर्जन इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। साथ ही आंखों की निवारक और उपचारात्मक देखभाल को मजबूत करने के लिए बहुआयामी रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि , '' हमें स्वेच्छा से नेत्रदान करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि एनपीसीबी (नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस) ने 2017-18 के लिये 50 हजार नेत्रदान का मामूली लक्ष्य रखा जबकि अब तक करीब 69 हजार 343 नेत्रदान हो चुके हैं।"
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उन्होंने कहा कि यह बेहद उत्साहजनक रुझान है और भविष्य में इस संबंध में ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करने और उसे हासिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ''स्वैच्छिक नेत्रदान के जरिये दृष्टिबाधित लोगों की आंखों की दृष्टि पाने में मदद करने का उत्तम आचार स्कूलों में युवा बच्चों में अवश्य डाला जाना चाहिये।" नायडू ने कहा कि नेत्रदान को लोकप्रिय बनाने में मास मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।- एजेंसी
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