नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों के पदक नहीं जीत पाने की ‘नैतिक जिम्मेदारी’ लेने को तैयार राष्ट्रीय कोच गुरबख्श सिंह संधू ने कहा कि पिछले चार साल से चला आ रहा प्रशासनिक गतिरोध भी उस खेल की दुर्दशा के लिये जिम्मेदार है जो कभी तेजी से प्रगति कर रहा था ।
यह भी पढ़े : नार्थ कोरिया : किम जोंग ने निकाला रियो से लौटे खाली हाथ एथलीट्स के लिए सजा का फरमान!
संधू ने कहा ,‘‘ मैं निजी तौर पर आहत हूं और इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं । लेकिन मेरा मानना है कि मौजूदा हालात में मेरे लडक़ों का प्रदर्शन संतोषजनक था । उन्हें काफी कठिन ड्रा मिले थे । पिछले चार साल से क्या हो रहा है , मैं जानता हूं लेकिन मुझे लगता रहा कि हालात सुधरेंगे ।’’ बीजिंग में विजेंदर सिंह के कांस्य पदक और लंदन ओलंपिक में एमसी मेरीकाम को मिले कांस्य पदक के बाद मुक्केबाजी को भारत की पदक उम्मीद माना जा रहा था ।
यह भी पढ़े : अमेरिका में क्रिकेट के लिए बेहतर संभावना : धोनी
रियो ओलंपिक में भारत के तीन मुक्केबाजों में से कम से कम एक पदक की उम्मीद थी लेकिन वे नाकाम रहे । संधू ने कहा ,‘‘ किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया । मेरे सभी लडक़े पदक विजेताओं से हार गए । मैं किसी को बचाने की कोशिश नहीं कर रहा लेकिन हमें यथार्थवादी होना होगा । ड्रा काफी कठिन थे ।’’ शिवा थापा 56 किलो को क्यूबा के रोबेइसी रामिरेज ने हराया जिसने बाद में स्वर्ण पदक जीता । वहीं मनोज कुमार 64 किलो भी स्वर्ण पदक विजेता उजबेकिस्तान के फजलीद्दीन गेइबनाजारोव से हारे । विकास कृष्णन को रजत पदक विजेता बेक्तेमिर मेलिकुजेव ने हराया । उन्होंने कहा ,‘‘ मैं गुजारिश करता हूं कि हमारे मुक्केबाजों की स्थिति को समझे । हमें अपने अहम को भूलना होगा । सबसे पहले सक्रिय राष्ट्रीय महासंघ का होना जरूरी है क्योंकि उसके बिना हम अनाथ हैं ।’’
(एजेंसी )