ज्ञान की गंगा, फिर भी नंगा

Samachar Jagat | Friday, 23 Sep 2016 05:32:51 PM
Abundance of knowledge yet naked

भारत जैसे महान देश जहां से ज्ञान की गंगा निकलने के बावजूद भी वह के लोग प्यासे के प्यासे रहते है। वास्तु , ज्योतिष , मंत्र , यंत्र , आस्था , भक्ति , श्रद्धा के भाव जिस देश ने दुनिया भर में फैलाये वहा पर आज भी लोग इनका उचित उपयोग नही करते , वो सिर्फ अपनी मुसीबतो का कारण भाग्य तथा परिस्थितियों को बताते है और उनका समाधान बाहरी तौर पर ढूढ़ते है , जबकि इस बात अनभिज्ञ है की समस्याएं तो आंतरिक कारणों से उत्तपन होती है न की बाहरी।

आज भी पढ़े लिखे होने के बावजूद इनसब को अन्धविश्वास कहते है जबकि सच्चाई तो ये है की , इसको अन्धविश्वास कहने वाले लोग ही मुसीबत के समय सबसे ज्यादा आस्था और विश्वास इन सब पर करते है। वास्तु , यंत्र , मंत्र , आस्था आदि यह वो विज्ञानं है जहां से ज्ञान रूपी गंगा का उदभव होता है।, लोग आजकल योग्यता से ज्यादा पहनावे और दिखावे पर ध्यान देते है और अपना ही नही जबकि अपने परिवार और आने वाली पीढ़ियों का नुकसान करते है।

सच्चाई तो ये है की नाम और नंबर भाग्य रूपी पक्षी के दो पंख है , जिनमें संतुलन होना अतिआवश्यक है। लक्ष्य के नजदीक जाकर असफलता हाथ लगना , व्यापार में घाटे लगना, शादी में अड़चन आना , नशो का आदि होना , गलत संगति में पड़ना , परिवार में अनबन होना आदि की वजह नाम तथा जन्म तारीख में समन्वय न होना है।

 

साभार 

मुकेश चौधरी 



 

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