युवा के लिये आध्यात्म का प्याला

Samachar Jagat | Thursday, 19 Jan 2017 04:37:12 PM
Cup of spirituality for young

जीवन की छोटी समझ और अपने जीवन की दिशा के प्रति असमंजस के कारण हमारी युवा पीढ़ी अत्यंत कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो रही है। युवा जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आता है और वे उसका तत्काल समाधान चाहते हैं, तत्काल संतुष्टि चाहते हैं। उनके लिए, सब कुछ अभी ही हो जाना चाहिये, इसी पल में!  जब तक युवा अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को सम्भालना नहीं सीखेंगे, तब तक वे ऐसे गलत रास्ते चुनते रहेंगे जिनमें कुछ समय के लिये रोमांच मिलने की आशा होती है। 

आज के युवा पहले से कहीं अधिक मानसिक बीमारी, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति से ग्रस्त है। मुझे बताया गया कि यूरोप के एक अनुसंधान में पाया गया कि वहाँ के 70 फीसदी युवा अपने माता पिता से न$फरत करते हैं और 80 प्रतिशत अपने प्रो$फेसरों से नफरत करते हैं। हिसा और अपराध में पड़े हुए युवाओं की संख्या भचताजनक है और धूम्रपान व मादक पदार्थ प्रयोग करने वाले युवाओं की संख्या इस समय अपने शिखर पर है। अपने उत्साह को बढ़ाने के लिए हर युवा तरसता है। 

आध्यात्मिकता वह है कि जो उत्साह को प्रज्वलित करती है, बनाए रखती है, और बढ़ाती है। हमारे युवाओं को यह एहसास करने की जरूरत है कि वे अपने जन्मजात मानवीयता को छोड़े बिना रचनात्मक और उत्पादक हो सकते हैं। उन्हें यह भी एहसास करने की आवश्यकता है कि उनमें बहुत क्षमता है और वे जो कुछ भी हासिल करना चाहते उसको पाने की शक्ति उनमें है।

 उन्होंने पदार्थ सुख और सुविधाओं की चरम सीमा तक का अनुभव करा है जिससे अब उनका जीवन इन उत्तेजनाओं के प्रति संतृप्त हो गया है। वास्तव में सिर्फ भौतिक वस्तुएँ या सुविधाएँ किसी को आराम नहीं दे सकती हैं। हर कोई शांति, स्थिरता, चैन और सच्चे प्रेम के लिए तरस रहा है। आध्यात्मिकता हमारे युवाओं को यह प्रदान कर सकती है।

सेवा भारतीय अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस तीव्र इच्छा को पूरा करने की ऊ$र्जा युवा में है। जब सेवा जीवन का एकमात्र उद्देश्य होता है, तब उससे भय समाप्त हो जाता है, मन में एकाग्रता आती है, कर्म उद्देश्यपूर्ण जो जाते हैं, और दीर्घकालिक सुख मिलता है। हमारा युवा आध्यात्मिकता के सेवा के पहलू को इस्तेमाल करके अपने भय और अवसाद को समाप्त कर सकता है। सेवा से बहुत मस्ती मिलती है। 

यह अवसाद के लिए सबसे प्रभावी इलाज है। जिस दिन तुम्हें निराशा लगे, खराब लगे या अवसाद लगे, अपने कमरे से बाहर निकलो और लोगों से पूछो, ‘‘मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?’’ तुम जो सेवा करोगे वह तुम्हारे अंदर एक क्रांति लायेगा। जब तुम अपने को दूसरों की मदद करने में व्यस्त रखोगे  तब तुम्हें एहसास होगा कि परमात्मा तुम्हारी बहुत अच्छी तरह से ख्याल रख रहा है और निराशा प्रेम और कृतज्ञता में परिवॢतत हो जायेगी। इसके विपरीत, जब तुम ऐसे प्रश्न पूछते हो कि ‘‘मेरे साथ ही ऐसा क्यों?’’ या ‘‘मुझे क्या मिला?’’ तब तुम अवसाद में आ जाते हो।

खुली सोच की कमी आज हमारे युवाओं के बीच एक बड़ी समस्या है।  उनको बहुत भचता है कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे। यह गंभीर रूप से उनके निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित करती है। छोटे-छोटे निर्णय जैसे कौन से कपड़े पहनने हैं, कौन सा मोबाइल खरीदना है, या गंभीर निर्णय जैसे कौन सा पेशा चुनना है इनका फैसला इस अदेखे आधार पर किया जाता है कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे न कि क्या तर्कसंगत है और क्या सही विकल्प होगा।

 श्वास प्रक्रियाएँ, ध्यान और साधना के द्वारा युवाओं को इस अंतर्बाधित मन को खोलने में मदद मिल सकती है।
मन का स्वभाव नकारात्मक से जुड़े रहने का है। इस से मुक्त होने के लिये, युवाओं को स्वयं की जिम्मेदारी लेनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका मन पूर्वाग्रहों के साथ नहीं भरा हुआ हो। अपनी नकारात्मक भावनाओं के साथ न ही लडऩा है और न ही उनसे दोस्ती करनी है। युक्ति, श्वास, और सही परिप्रेक्ष्य के द्वारा नकारात्मकता को हटाया जा सकता है।

युवाओं के जीवन में असफलता का डर नहीं होना चाहिए। बस स्वीकार कर लें: ‘ठीक है, मैं असफल रहा हूँ. तो क्या हुआ? मैं अब भी यह करना चाहता हूँ।’ यह एक खेल की तरह है, चाहे  हारे या जीते, तब भी हम खेल खेलते हैं। उसी तरह, असफलता से नहीं डरो। अगर तुम असफल हो, कोई बात नहीं, तब भी करते जाओ। जीवन असफलता और सफलता सब का मिश्रण है - वे एक दूसरे के पूरक है। 

अगर तुम असफल हो, तो आप सफलता की कीमत जान पाते हो, वह सीढ़ी पर एक कदम है। तुम्हें आगे बढऩा है : अपने आप से पूछना चाहिये,  मैंने अतीत से क्या सीखा और फिर भविष्य के प्रति मेरे क्या दृष्टिकोण है? यह तुम्हें आगे बढ़ते रहने देगा। इसके लिए, मन में सजगता होनी चाहिये जो तनाव समाप्त करके मिल जाती है। शतरंज के खिलाड़ी बनो उसके प्यादे नहीं। तुम्हें खिलाड़ी बनना होगा और अपने आप को सशक्त बनाना होगा। याद रखो कि जो कुछ तुम प्राप्त कर सकते हो या अपना बना सकते हो उसकी तुलना में जीवन कहीं अधिक बड़ा है।



 

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