वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) एक जुलाई से लागू करने का रास्ता साफ करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी के लिए जरूरी चार विधेयकों को मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार ने चारों विधेयकों को अधिसूचित कर दिया है। अब यह चारों कानून बन गए हैं।
अब विधानसभाएं राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) बिल को मंजूरी देंगी। इसके बाद जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। चारों विधेयकों को लोकसभा ने 29 मार्च तथा राज्यसभा ने 6 अप्रैल को पारित किया था। जीएसटी पर एक दशक से चर्चा चल रही थी, लेकिन अब यह मूर्तरूप लेने के करीब है। इसके लागू होने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क व सेवाकर तथा राज्यों के वैट जैसे कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।
विशेष दर्जे के चलते जम्मू-कश्मीर को अपने यहां एसजीएसटी की तरह का ही अलग कानून बनाना होगा। दरअसल एसजीएसटी विधेयक में राज्य जीएसटी लागू करने संबंधी प्रावधान है। इसलिए इसके पारित होने के बाद जीएसटी के लिए जरूरी विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाए जीएसटी काउंसिल 18 और 19 मई को वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में वस्तु एवं सेवा वार जीएसटी की दरों को अंतिम रूप देगी।
अधिकारियों की समिति जीएसटी की दरें तय करने में जुटी है। केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) विधेयक 2017, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) विधेयक 2017, वस्तु एवं सेवाकर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक 2017 और संघ राज्य क्षेत्र वस्तु एवं सेवाकर (यूटीजीएसटी) विधेयक 2017 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी है।
जीएसटी लागू होने के बाद 50 हजार रुपए से ज्यादा मूल्य वाले माल की ढुलाई करने के लिए इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद ‘ई-वे बिल’ मिलेगा। टैक्स चोरी रोकने के लिए कर अधिकारी माल के परिवहन के दौरान रास्ते में कहीं भी इसकी जांच कर सकेगे। इन सामानों को ट्रांसपोर्ट करने के लिए अधिकतम 15 दिन का समय दिया जाएगा। इस नई व्यवस्था से ट्रांसपोर्टरों को खासतौर पर राहत मिलेगी।
यहां यह बता दें कि सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को इसी साल पहली जुलाई से लागू करने का लक्ष्य तय किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने इस संबंध में नियम जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 50 हजार रुपए से ज्यादा की बिक्री उसको एक से दूसरी जगह ले जाने से पहले कारोबारियों को इलेक्ट्रानिक वे यानी ई-वे बिल के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) वेबसाइट पर पंजीकरण के बिना राज्य के भीतर और बाहर सामान ले जाने पर रोक रहेगी। जीएसटीएन पर ई-वे बिल एक से लेकर 15 दिनों के लिए मिलेगा। यह समय इस आधार पर दिया जाएगा कि माल को कितनी दूरी तक ले जाना है।
सौ किलोमीटर तक की दूरी के लिए एक दिन का समय मिलेगा। अगर सामान को 1000 किलोमीटर से ज्यादा दूर ले जाना है तो 15 दिन का समय दिया जाएगा। मसौदा नियमों के मुताबिक कॉमन पोर्टल पर ई-वे बिल जनरेट होने के बाद सप्लायर माल पाने वाले और ट्रांसपोर्टर को एक अनूठा ई-वे बिल नंबर उपलब्ध कराया जाएगा। प्रारूप नियमों के अनुसार ट्रांसपोर्टर या माल ढुलाई करने वाले व्यक्ति को रसीद या सप्लाई बिल अथवा डिलीवरी चालान के साथ ही ई-वे बिल की कॉपी या इसका नंबर साथ में रखना होगा। इसे या तो बिल के रूप में रखा जाएगा या वाहन में रेडियो फ्रीक्बेंसी आईडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआईडी) लगा होने पर इलेक्ट्रानिक मोड में रखना होगा।
इस नियमों के अनुसार टैक्स कमिश्नर या उसकी ओर तैनात अधिकृत किसी अधिकारी को परिवहन के दौरान कहीं भी इस सामान की जांच करने का अधिकार होगा। इस दौरान अधिकारियों को ई-वे बिल की हार्ड कॉपी या इलेक्ट्रानिक मोड में इसे दिखाना होगा।
यह जांच राज्य के भीतर या बाहर कहीं भी की जा सकेगी। टैक्स चोरी की सूचना मिलने पर यह कार्रवाई की जाएगी। जांच करने वाले अधिकारी को 24 घंटे के भीतर इसकी रिपोर्ट विभाग में देनी होगी। वहीं अगर कर अधिकारी वाहन को आधा घंटे से ज्यादा देर के लिए रोकते हैं, तो ट्रांसपोर्टर इसकी सूचना जीएसटीएन सर्वर पर दे सकता है। इस सूचना को अपलोड करने के लिए ट्रांसपोर्टर को निर्धारित फार्म का इस्तेमाल करना होगा।
इन ई-वे बिल में खुद जांच करने की व्यवस्था भी होगी जहां पंजीकृत सप्लायर को पहले ही सरकार को परिवहन किए जा रहे सामान की लोकेशन बतानी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कंसाइनर को ई-वे बिल के लिए रजिस्ट्रेशन कराते वक्त सामान भेजने और पाने वाले का नाम व पता देना होगा।
इसके अलावा उसे माल का ब्यौरा, उसकी कीमत और वजन की जानकारी भी देनी होगी। आशा की जाती है कि नए नियम ट्रांसपोटरों, कारोबारियों और आम लोगों सुविधा को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे और कर चोरी रोकने में भी कारगर सिद्ध होंगे।