प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को मिली भारी भरकम जीत के बाद कहा जा रहा है कि अब भाजपा को राज्यसभा में बहुमत मिल जाएगा और सरकार के लिए विधेयक पास कराना आसान हो जाएगा। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। इस भारी भरकम जीत के बावजूद राज्यसभा में भाजपा बहुमत से दूर रहेगी। हां अलबता अगले साल के द्विवार्षिक चुनावों के बाद वह राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी जरूर हो जाएगी।
लेकिन उसके लिए भी एक साल का इंतजार करना होगा। इस साल राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। लेकिन इनमें से छह सीटें पश्चिमी बंगाल की है। इनमें से कोई भी सीट भाजपा को नहीं मिलेगी। कांग्रेस को एक सीट मिलेगी और बाकी पांच सीटें तृणमूल कांग्रेस के खाते में जाएगी। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीतराम येचुरी भी इस बार वहां से नहीं जीत पाएंगे। इसके अलावा तीन सीटें गुजरात की है, जिनमें से दो भाजपा की है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और दिलीप भाई पंड्या रिटायर हो रहे हैं।
एक सीट कांग्रेस की है, जो उसे मिल जाएगी। इस तरह वहां से भी किसी सीट का फायदा नहीं होगा। गोवा से एक सीट कांग्रेस के शांताराम नाइक की खाली हो रही है, जिस पर भारी घमासान होगा। सो इस साल राज्यसभा की तस्वीर जस की तस रहने वाली है। यानी कांग्रेस 59 और भाजपा 56 सीटों पर रहेगी। अगले साल जरूर यह तस्वीर बदलेगी। अप्रैल-मई में होने वाले द्विवार्षिक चुनावों में भाजपा को अकेले उत्तर प्रदेश में सात सीटों का फायदा होगा। उत्तर प्रदेश की दस सीटें खाली हो रही है। इनमें से एक सीट भाजपा के विनय कटियार की है।
मौजूदा गणित के हिसाब से सपा, बसपा और कांग्रेस मिलकर दो सीट जीत सकते हैं। इस तरह भाजपा के खाते में आठ सीटें जाएंगी। यानी उस सात सीटों का फायदा होगा। बिहार में छह सीटें खाली हो रही है, जिनमें रविशंकर प्रसाद और धर्मेन्द्र प्रधान की दो सीटें भाजपा की है। वहां भाजपा को एक सीट का नुकसान होगा। राजस्थान में खाली हो रही तीनों सीटें भाजपा जीतेगी, जिनमें एक सीट भूपेन्द्र यादव की है। यहां भाजपा तीनों सीटें जीतेंगी और इस तरह यहां उसे दो सीटों का फायदा होगा।
झारखंड में दो सीटें खाली हो रही है और अगर पिछली बार की तरह दोनों सीटों पर भाजपा की जीत हुई तो उसे दो सीटों का फायदा होगा। महाराष्ट्र में अगले साल छह सीटें खाली होगी, जिनमें से तीन सीटें भाजपा और शिवसेना की है। वहां उनको एक सीट का फायदा होगा। अगले साल मध्यप्रदेश में खाली हो रही पांच सीटों में से चार भाजपा की है। इसलिए वहां उसे कोई फायदा नहीं होगा।
हरियाणा में उसे एक सीट का फायदा हो सकता है। इस तरह कुल मिलाकर भाजपा को अगले साल 13 या 14 सीटों का फायदा हो सकता है। जिससे उसकी संख्या अधिकतम 70 तक पहुंचेगी। जबकि बहुमत का आंकड़ा 123 का है। राजग के सांसदों की संख्या 80 है, जो बढक़र 94 हो सकती है।