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लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में चाहे वह केन्द्र में सत्तारुढ़ हो या राज्य की सरकार में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार ऐसे विषय हैं जिनसे वह मुंह नहीं मोड़ सकती। इसी उद्देश्य के मद्देनजर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट बुधवार को राज्य विधानसभा में प्रस्तुत करते हुए इन तीनों विषयों पर विशेष जोर दिया है। गहलोत ने कहा कि बजट में यह प्रयास किया गया है कि प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो और हम विकास के विभिन्न आयामों को जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप प्राथमिकता दें।
गहलोत ने सादगी के प्रतीक रहे पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ स्व. लाल बहादुर शास्त्री के इस कथन ‘आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिनसे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़ सकें।’ का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी सरकार का यह दृढ़ विश्वास है कि समाज के हर तबके-खासतौर से निर्धन, असहाय और पिछड़े वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर ही हम अपने प्रदेश को गरीबी और बेरोजगारी के अभिशाप से मुक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने एक बार फिर हम पर भरोसा जताया है। प्रदेशवासियों का यही विश्वास हमारी सरकार की सबसे बड़ी ताकत है। इसी हौसले से हम किसानों, युवाओं, बुजुर्गों, मजदूरों और वंचित तबकों के उत्थान के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करके एक ‘खुशहाल राजस्थान’ बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान एवं वर्ष 2019-20 के लिए वार्षिक वित्तीय अनुमान प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछली सरकार बड़ा कर्ज छोड़ गई है। कर्ज भार 3 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। विरासत में हमें चुनौतीपूर्ण हालात मिले हैं। पिछली सरकार के कुशासन ने राज्य को बेपटरी कर दिया। गत सरकार ने सुदृढ़ स्थिति के बावजूद वित्तीय घाटा बढ़ाया। इसके साथ गहलोत ने गत सरकार के आंकड़े प्रस्तुत किए और कहा कि वित्तीय स्थिति में सुधार हमारा लक्ष्य है। 17454 करोड़ का राजस्व घाटा था।
गहलोत ने कहा कि हमारे पिछले सेवाकाल में हमने ठोस कदम उठाते हुए अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए एक गतिशील आर्थिक ढांचा तैयार किया था। पिछली सरकार की गलत नीतियों और अदूरदर्शी सोच के कारण कई आर्थिक मापदंडों पर राज्य पिछड़ गया। चाहे वह आर्थिक वृद्धि दर हो या प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर, चाहे वह कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर हो या बढ़ता कर्जभार, चाहे वह राजकोषीय घाटे की बात हो या ऊर्जा क्षेत्र के कुप्रबंधन की सब ओर विरासत में हमें बेहद चुनौतीपूर्ण हालात मिले हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हमने सरकार संभालते ही विकास के कई बड़े निर्णय किए हैं। उन्होंने कहा कि किसान विकास की धुरी है। इसलिए हमने किसानों के हित मेें बड़ा फैसला किया है। सरकार बनते ही किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया। कर्ज माफी से 24 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। पिछली सरकार ने केवल लघु सीमांत किसानों का 50 हजार का कर्जा माफ किया। हमने सम्पूर्ण अल्पकालीन फसली ऋण माफी की घोषणा की और इसकी क्रियान्विति भी शुरू कर दी। इसके तहत 30 नवम्बर, 2018 तक का कर्ज माफ किया है। हमने राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्ज माफी का भी बीड़ा उठाया है। गहलोत ने कहा कि प्रदेश में पहली बार सहकारी बैंकों से जुड़े सभी पात्र लघु, सीमांत व अन्य किसानों का सम्पूर्ण अल्पकालीन फसली ऋण पूरी तरह माफ किया जा रहा है।
ऋण माफी प्रमाण पत्र वितरण शिविरों का आयोजन 7 फरवरी से प्रारंभ हो चुका है। इस वृहद ऋण माफी से 24 लाख 40 हजार किसानों को करीब 9 हजार करोड़ एवं पूर्व सरकार के 6 हजार करोड़ के ऋणों से राहत मिलेगी। साथ ही हमारी सरकार ने किसानों की पीड़ा समझते हुए जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों एवं भूमि विकास बैंकों के 2 लाख रुपए तक के अवधि पार कृषि ऋण माफ करने का भी फैसला किया है। इससे एक ओर किसान ऋण भार से मुक्त होगा वहीं दूसरी ओर कर्ज माफी से किसानों की लगभग 4 लाख बीघा कृषि भूमि रहन हो सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी रोजगार का मुख्य जरिया है। इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को आर्थिक रूप से मदद प्रदान करने के लिए मैंने अपने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना लागू की थी। लेकिन गत सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था। पशुपालकों के कल्याण के लिए इस योजना को फिर शुरू किया। एक फरवरी 2019 से राज्य के सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों में दूध की आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को दुग्ध संकलन पर राज्य सरकार द्वारा 2 रुपए प्रति लीटर की दर से बोनस दिया जा रहा है। इस योजना से 5 लाख से अधिक सक्रिय दुग्ध उत्पादक लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री ने बुजुर्गों को दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी किए जाने की घोषणा करते हुए बताया कि यह बढ़ोतरी एक जनवरी 2019 से लागू कर दी जाएगी। जिसमें 75 वर्ष से कम आयु के वृद्ध पेंशनर को अब 500 रुपए के स्थान पर 750 रुपए तथा 75 वर्ष और उससे अधिक आयु के पेंशनर को 750 रुपए के स्थान पर एक हजार रुपए प्रतिमाह मिलने प्रारंभ हो गए हैं। इस बढ़ोतरी का लाभ करीब 46 लाख पेंशनरों को मिलेगा। विशेष योग्यजनों के लिए सरकारी सेवाओंं में आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। सरकार विशेष योग्यजन, विधवा, एकल नारी पेंशन राशि में भी बढ़ोतरी करेगी।
गहलोत ने सभी पात्र लघु एवं सीमांत किसानों को सम्मान राशि प्रतिमाह उपलब्ध कराने की घोषणा की, जिसमें 55 वर्ष या इससे अधिक आयु की महिला और 58 वर्ष या इससे अधिक आयु के पुरुष इस पेंशन के हकदार होंगे। इसमें 75 वर्ष कम आयु के किसानों को 650 रुपए प्रतिमाह और 75 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के किसानों को एक हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल बीपीएल, स्टेट बीपीएल और अन्त्योदय परिवारों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम की जगह एक रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं उपलब्ध कराने की घोषणा की। पात्र परिवारों को इसका लाभ एक मार्च 2019 से मिलने लगेगा। इस योजना से एक करोड़ 74 लाख लोग लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री ने अपने पिछले कार्यकाल में स्थापित दो विश्वविद्यालयों हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, जयपुर एवं डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय जिन्हें गत सरकार ने बंद कर दिया था। उन्हें जनघोषणा-पत्र में किए गए वादे के अनुसार फिर से शुरू किए जाने की घोषणा के साथ ही इसके लिए विधेयक भी पेश कर दिए। इससे विधि एवं पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में उच्चतर अध्ययन एवं शोध कार्य को नया आयाम मिलेगा।
गहलोत ने शिक्षित बेरोजगारों को भत्ता दिए जाने की घोषणा की, जिसमें महिलाओं को 3500 रुपए और पुरुषों को 3000 रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। बालिका शिक्षा की बढ़ोतरी के लिए छात्राओं को सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नि:शुल्क शिक्षा दिए जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने नि:शुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाते हुए कैंसर, हृदय, श्वांस एवं गुर्दा रोग आदि के उपचार हेतु नई दवाओं को शामिल करने और मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में रोगियों की सुविधा के लिए नवीन दवा वितरण केन्द्र खोलने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने आदिवासियों के बड़े तीर्थ स्थल बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के गठन की घोषणा की। उन्होंने एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की घोषणा की। यहां यह उल्लेखनीय है कि करीब 4 माह के लेखानुदान में सरकार ने वेतन, पेंशन, जिला प्रशासन, न्याय प्रशासन, निर्वाचन और कंटिनजेंसी पर खर्च के लिए विधानसभा से मंजूरी मांगी है। साल का पूरा बजट चुनाव के बाद जुलाई में पेश होगा।
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