आम लोगों का भरोसा बनाए रखने का प्रयास

Samachar Jagat | Tuesday, 20 Dec 2016 04:53:00 PM
The attempt to maintain the public trust

केंद्र सरकार ने कालेधन को ठिकाने लगाने और नए नोटों बदलने में हो रही गड़बडि़यों की धरपकड़ करने के लिए आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय के साथ ही सीबीआई, आईबी और ‘रॉ’ के अलावा स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी इस अभियान में झौंक दिया है और भ्रष्ट तत्वों की घेरेबंदी कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चिित करने को कहा है। 

सभी तरह के सक्रियता और सतर्कता के बावजूद जिस तरह बड़े पैमाने पर कालेधन के साथ नए नोटों की बरामदी हो रही है। इससे नोटबंदी के जरिए कालेधन वालों पर अंकुश लगाने का मकसद एक बड़ी हद तक विफल होता हुआ नजर आ रहा है। 

धांधली कर कालाधन बदलने के खेल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी सवालों के घेरे में आ गया है। बैंगलुरू स्थित रीजनल आफिस के दो और कर्मचारियों को सीबीआई ने शनिवार की रात गिरफ्तार कर लिया है।

 आरोपी सीनियर स्पेशल असिंसटेंट और उनके साथ एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। इससे पहले भी रिजर्व बैंक के एक अधिकारी को गिरफ्तार किया गया था। पकड़े गए आरोपियों के पास नए नोटबंदी जिम्मेदारी थी।

 इन्होंने 1.99 करोड़ रुपए के पुराने नोट गलत तरीके से बदले। मुंबई पुलिस ने अंधेरी इलाके में दो-दो हजार रुपए के नए नोटों के रूप में 1.40 करोड़ रुपए जब्त किए और चार लोगों को गिरफ्तार किया। 

ईडी ने चंडीगढ़ व मोहाली में एक दर्जी के यहां से 31 लाख रुपए कैश और ढ़ाई किलो सोना पकड़ा। पकड़े गए नोटों में 18 लाख रुपए के नए नोट थे। इससे पहले शुक्रवार को आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की विभिन्न टीमों ने जिस तरह देशभर में करीब तीन सौ ठिकानों पर छापेमारी की और उस दौरान तीन सौ करोड़ रुपए से अधिक का कालाधन और नए नोट मिले, उससे तो यह साबित हो रहा है कि न तो कालेधन को सफेद करने में जुटे लोगों की सेहत पर कोई असर पड़ा है और नहीं उन बेईमान बैंक कर्मचारियों के दुस्साहस पर। ये अब भी आम जनता और सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।

 यह पहले दिन से ही तय था कि कालेधन वाले लोग किसी न किसी जतन से सरकारी तंत्र को धोखा देने की कोशिश करेंगे, लेकिन ऐसा अंदेशा कम ही था कि ऐसे तत्वों की मदद खुद बैंक कर्मी ही करेंगे। सरकार इससे संतुष्ट नहीं हो सकती कि बड़ी संख्या में छापेमारी के दौरान कालेधन के साथ-साथ नए नोटों को बरामद किया जा रहा है। 

क्योंकि यह एक तथ्य है कि केंद्रीय एजेंसियां इस स्थिति में नहीं कि वे कालेधन को सफेद करने में लिप्त सभी संदिग्ध तत्वों के साथ-साथ भ्रष्ट बैंक कर्मियों की भी निगरानी कर सके। 

छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के दूर-दराज इलाकों में तो केंद्रीय एजेंसियों की कोई उपस्थिति ही नहीं है। अब तक के आकलन के अनुसार नोटबंदी के बाद से 3000 करोड़ के कालेधन के साथ बड़ी मात्रा में नए नोट हाथ लगे हैं। यह मानने में अच्छे-भले कारण है कि जितनी राशि के नए नोट पकड़े गए हैं उससे कई गुना अधिक पकड़ में नहीं आए होंगे। इसके भी आसार कम ही है कि छापेमारी में जुटी केंद्रीय एजेंसियां भ्रष्ट बैंक कर्मियों को आने वाले दिनों में हतोत्साहित करने में समर्थ साबित होंगे। 

केंद्र सरकार और उसके नीति-नियंता चाहे जो दावा करें, बैंकिंग व्यवस्था का भ्रष्टाचार अपने विदू्रप रूप में सामने आ गया है। यह कहने में हर्ज नहीं कि बैंकिंग व्यवस्था के भ्रष्ट तंत्र ने सरकार के इरादों पर पानी फेरने का काम किया है। इस भ्रष्ट तंत्र की कारगुजारियों से सरकार को जरूरी सबक सीखने में देर नहीं करनी चाहिए।

 सरकार को यह भी समझना होगा कि आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी चाहे जितनी चुस्ती दिखा रहे हों, वे भी कोई दूध के धुले नहीं है। इन दोनों विभागों में भी भ्रष्ट तत्वों की मौजूदगी है। आखिर इसकी पुष्टि कौन करेगा कि कालेधन नए नोटों की बरामदगी के जो दावे इन विभागों के अधिकारी कर रहे हैं। 

वे बिना किसी हेरफेर के किए जा रहे हैं। नए नोटों की बरामदगी के मामलों को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने की जनरल क्यों नहीं समझी जा रही है? अब जबकि नए नोटों की बरामदगी सरकार की साख को प्रभावित कर रही है, तब तो उसकी ओर से जरूरी सख्ती दिखाई ही जानी चाहिए।
 



 

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