एटीएम से राशि निकालना हुआ महंगा

Samachar Jagat | Thursday, 19 Jan 2017 04:17:21 PM
Withdrawing from ATMs is costly

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए एटीएम से निकासी की सीमा बढ़ा दी है। अब एक दिन में एटीएम से 10 हजार रुपए निकाल सकते हैं। इससे पहले यह सीमा 4500 रुपए की गई थी। हालांकि 24 हजार रुपए की साप्ताहिक सीमा बरकरार है। यदि आप दो दिन 10-10 हजार रुपए निकाल लेते हैं तो तीसरे दिन चार हजार ही निकाल पाएंगे। आरबीआई ने चालू खातों से भी पैसे निकालने की सीमा में इजाफा कर दिया है। अब ग्राहक 50 हजार की जगह हफ्ते में एक लाख रुपए निकाल सकते हैं। 

रिजर्व बैंक ने यद्यपि एटीएम से एक बार रुपए निकालने की सीमा बढ़ा दी है। लेकिन अब एटीएम से पैसा निकालना महंगा हो गया है। हालांकि सरकार अब एटीएम से एक महीने में मुफ्त राशि निकालने की सीमा पांच से घटाकर तीन करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। बैकरों की ओर से आए इस प्रस्ताव पर वित्तमंत्री से चर्चा हुई थी। अभी लोगों से महीने में 8-10 बार तक एटीएम से पैसा निकालने पर चार्ज नहीं होता है। इसमें दूसरे बैंकों के एटीएम से निकासियां भी शामिल है। हालांकि बैकरों की ओर से आए इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है, किन्तु बैंकों ने तो पहले ही एटीएम से निकासी पर शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है।

 नोटबंदी के 50 दिन बाद कार्ड पर दी जाने वाली सहूलियतें वापस होने के चलते एटीएम से निकासी महंगी हो गई है। हालांकि सरकार ने एटीएम से निकासी 2500 से बढ़ाकर 4500 रुपए और अब 10 हजार रुपए कर दी है, लेकिन अपने बैंक के एटीएम से पांच और दूसरे बैंक से तीन निकासी के बाद पहले की तरह शुल्क लेने लगे हैं। बैंक एटीएम निकासी सीमा के बाद प्रति निकासी 15 से 20 रुपए शुल्क वसूलते हैं।

 पहले एक बार में 10 हजार रुपए तक निकाले जाते थे, जो राशि सीमा तय होने पर महज 4500 रुपए ही निकाल पा रहे थे। इस तरह दो बार में निकासी सीमा के बाद 9 हजार रुपए के लिए 40 रुपए चुकाने पड़ रहे थे। अब यह सीमा एक बार में 10 हजार निकालने पर 40 रुपए से ज्यादा शुल्क देना पड़ेगा। जबकि पहले तय सीमा के बाद महज 20 रुपए देने पड़ते थे। इसके अलावा नोटबंदी को देखते हुए सरकार ने 30 दिसंबर तक एटीएम से राशि निकालने की संख्या पर शुल्क हटा दिया था। 

रिजर्व बैंक प्रवक्ता ने भी कहा है कि नई तैयारी को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में बैंक नोटबंदी से पहले की व्यवस्था की तरह एटीएम से तय सीमा से अधिक बार निकासी के लिए पहले से शुल्क ले रहे हैं। यही नहीं कुछ बैंकों ने डेबिट कार्ड के इस्तेमाल करने पर लेन-देन शुल्क लगाना फिर से शुरू कर दिया है। इस बारे में सरकार या रिजर्व बैंक से कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए जाने से बैंक ऐसा कर रहे हैं। मर्चेंट छूट दर (एमडीआर) बैंक दुकानदार से नोटबंदी के दौरान 2.5 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से महीने में 75 हजार रुपए तक बिना शुल्क के निकाल सकते थे। 

हालांकि सरकार ने एक सप्ताह यानी सात कारोबारी दिवस में 24 हजार रुपए की सीमा तय कर रही है। 30 दिसंबर तक किसी बैंक के एटीएम से निकासी पर कोई शुल्क नहीं था। एटीएम से 10000 रुपए की सीमा तय किए जाने से पहले पांच बार में 4.5 हजार रुपए के हिसाब से महीने मेें बिना शुल्क 22500 रुपए निकाल सकते थे, वहीं दूसरे बैंक के एटीएम से तीन बार में 13.500 रुपए निकाल सकते थे। 

इस तरह बिना शुल्क के कुल 36 हजार रुपए महीने में निकाल सकते थे। इसके बाद 15 से 20 रुपए शुल्क देना पड़ता था। यदि पहले की तरह 75 हजार रुपए एटीएम से निकालने हो तो 39 हजार रुपए के लिए नौ बार अतिरिक्त एटीएम इस्तेमाल करने पर 15 रुपए के हिसाब से 135 रुपए शुल्क चुकाना पड़ रहा है। नोटबंदी से पहले सामान्यत: एटीएम से बार में 10 हजार रुपए निकाल सकते थे। इस तरह आप अपने बैंक के एटीएम से 50 हजार रुपए और दूसरे बैंक के एटीएम से 30 हजार रुपए तक बिना शुल्क के निकाल सकते थे। 

नोटबंदी के बाद अपने बैंक के एटीएम से 50 हजार रुपए निकालने के लिए सात बार अतिरिक्त इस्तेमाल का 105 रुपए चुकाना पड़ रहा था। वहीं दूसरे बैंक से 30 हजार रुपए निकालने के लिए 3 बार अतिरिक्त निकासी का 60 रुपए चुकाना पड़ रहा था। इस प्रकार 80 हजार रुपए निकालने पर 165 रुपए शुल्क चुकाना पड़ रहा है। जबकि नोटबंदी से पूर्व इतना पैसा बिना शुल्क के निकाल सकते थे। 

इस प्रकार नोटबंदी से पहले 8 बार में हर माह 80 हजार रुपए बिना शुल्क के निकाल सकते थे, लेकिन नोटबंदी के बाद 135 से 165 रुपए हर माह चुकाने पड़ रहे हैं, पहले के बराबर राशि निकालने पर। क्रेडिट कार्ड से खरीददारी पर आमतौर पर दुकानदार डेढ़ से अढ़ाई फीसदी तक अतिरिक्त मांगते हैं। यह रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश का खुला उल्लंघन है। 

नियमों के मुताबिक बैंक दुकानदार को इस शर्त पर कार्ड स्वाइप मशीन देते हैं कि वह इसके लिए ग्राहकों से किसी तरह की अतिरिक्त राशि नहीं वसूलेंगे, बल्कि वे स्वयं इसका वहन करेंगे। कुल मिलाकर नोटबंदी के बाद बैंक और दुकानदार दोनों ग्राहकों से शुल्क वसूलने में लगे हुए हैं, जबकि पहले निर्धारित सीमा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाता था।



 

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