दक्षिण-भारत के केरल राज्य के कालड़ी ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार शिवगुरु दम्पति के घर आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ। असाधारण प्रतिभा के धनी आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य ने सात वर्ष की उम्र में ही वेदों के अध्ययन किया और पारंगतता हासिल की।
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छोटी सी उम्र में ही इन्होंने अपनी माता से संन्यास लेने की अनुमति प्राप्त की और गुरु की खोज में निकल पड़े। सनातन धर्म में मान्यता है कि आदि शंकराचार्य भगवान शंकर के ही अवतार थे। आदि शंकराचार्य ने ही भारत के चार कोनों पर चार पीठों की स्थापना की।
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इनमें ‘श्रंगेरी कर्नाटक (दक्षिण) में, ‘द्वारका गुजरात (पश्चिम) में, पुरी उड़ीसा (पूर्व) में और ज्योर्तिमठ (जोशी मठ) उत्तराखंड (उत्तर) में आज भी मौजूद है। आद्य शंकराचार्य ने मात्र 32 वर्ष की अल्पायु में ही पवित्र केदारनाथ धाम में इहलोक का त्याग दिया।
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