तुलसी का धार्मिक महत्व है, यह किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। इसके साथ एक प्रसिद्ध कहावत भी जुड़ी हुई है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह पूजनीय स्थान होता है और वहां कोई बीमारी या मृत्यु के देवता नहीं आ सकते हैं। तुलसी का पौधा घरों और मंदिरों में लगाया जाता है, इसकी पत्तियां भगवान विष्णु को अर्पित की जाती हैं लेकिन गणेश पूजन में तुलसी की पत्तियों को नहीं रखा जाता है। इसके पीछे का कारण इस कथा में बताया गया है .......
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गणेश पूजन में वर्जित है तुलसी के पत्ते :-
एक कथा के अनुसार एक बार तुलसी जंगल में अकेली घूम रही थी जब उन्होंने गणेश जी को देखा जो की ध्यान में बैठे थे। तब तुलसी ने गणेश जी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने यह कह कर अस्वीकार कर दिया की वो ब्रह्मचारी है जिससे रुष्ट होकर तुलसी ने उन्हें दो विवाह का श्राप दे दिया, प्रतिक्रिया स्वरुप गणेश जी ने तुलसी को एक राक्षस से विवाह का श्राप दे दिया। तभी से तुलसी और भगवान गणेश एक दूसरे से रूष्ट हो गए और इसीलिए गणेश पूजन में तुलसी का प्रयोग वर्जित है।
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