मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितर पूजा करने से पितरों को मिलती है शांति

Samachar Jagat | Tuesday, 29 Nov 2016 10:48:25 AM
Margashirsha moon joins the ancestors to worship ancestors peace

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह कई धार्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने ’गीता’ में स्वयं कहा है कि- “महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ“। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था।

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मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। स्नान के समय ’नमो नारायणाय’ या ’गायत्री मंत्र’ का उच्चारण करना फलदायी होता है। मार्गशीर्ष माह में पूरे महीने प्रातःकाल समय में भजन मण्डलियाँ, भजन, कीर्तन करती हुई निकलती हैं।

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का बहुत ही विशेष स्थान है। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण भक्ति का विशेष महत्व होता है और पितरों की पूजा भी कि जाती है। इस दिन पितर पूजा द्वारा पितरों को शांति मिलती है और पितर दोष का निवारण भी होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बताई गई है, किंतु पितरों की शान्ति के लिए इस अमावस्या पर व्रत पूजन का विशेष लाभ मिलता है।

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जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है, उन्हें मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को उपवास रख कर पूजन कार्य करना चाहिए।

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