नहीं जानते होगें नमस्कार करनें के सही तरीके के बारे में..

Samachar Jagat | Monday, 29 Aug 2016 01:38:17 PM
May not know about the right way to greet ..

भारतीय परंपरा में नमस्कार करना अपने से बड़ो को आदर देने का एक तरीका होता है। इसकी जगह आज की लाइफस्टाइल में हैलो, हाय, और हग जैसी ब्रीटिश रिवाजो ने ले ली है। आज के जमानें में हाथ जोड़कर एक दुसरे का सत्कार करना जैसी परंपरा का मानों अंत सा हो गया है।

लेकिन आज भी भारतीयशास्त्रों के अनुसार किसी से मिलनें का यह तरीका सही नहीं होता है। हिंदू धर्म में बड़ों के पैर छूकर उनके आशीर्वाद लेने और दोनों हाथ जोड़कर उनका सत्कार करनें की परंपरा है। जो आज के युग में ये भले ही पुरानी लगती हो लेकिन शास्त्रो के द्वारा इन्हें व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देने के पीछे बहुत से ऐसे कारण छिपे हुए है।

अपनी उम्र से बड़े व्यक्ति से मिलनें या फिर मंदिर में भगवान के दर्शन करते समय हमें सबसे पहले अपनें दोनों हाथ जोड़कर उनका सत्करा करते है। लेकिन कभी भी आपनें यह नहीं सोचा होगा कि नमस्कार करनें का सही तरीका और इसके पीछे छिपे कारण क्या है तो चलिए आज हम आपको बतानें जा रहे है इसके पीछे छिपे कुछ अहम कारणों के बारे में जिन्हें शायद आप नहीं जानते होगें।

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नमस्कार करनें से व्यक्ति को आध्यात्मिकता के साथ व्यवहारिकता की अनुभूति भी होती है। देवताओं और अपनी उम्र से बड़े सज्जनों को नमस्कार करनें से हमारे आंतरिक गुणों और आदर्शं में वृध्दि होती है। ऐसा करनें से हम अपनें अंदर एक अलग ही सुधार करते है। ऐसा करनें से कहीं ना कहीं हमारे व्यवहार में सकारात्मकता उत्पन्न होती है।

- नमस्कार को अपने व्यवहार में लानें से अहम की भावना में कमी आती है। जिसके परिणामस्वरुप व्यक्ति के भीतर नम्रता का भाव जागृत होता है। अपनें दोनों हाथ जोड़कर व्यक्ति किसी के सामनें खड़ा होता है तो इससे उसके अंदर दया और प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। इससे व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिकता का भाव उत्पन्न होता है। इसके साथ ही व्यक्ति के व्यवहार में कुशलता का विकास होता है।

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- बड़ो को नमस्कार करनें का अर्थ- घर के बड़ो और बुजर्गों को झुककर नमस्कार करना उनके प्रति आपके आदर को दर्शाता है। शास्त्रो के अनुसार वृध्दों के भीतर देवताओं की छवि विद्दमान होती है इसलिए उनका सत्कार करना सीधे देवताओं का सत्कार करनें के समान है। बजुर्गों के माध्यम से व्यक्ति को देवताओं की शरण प्राप्त होती है।

- ज्यादात्तर लोग हाथ मिलाकर एक दुसरें के प्रति अपनें भावों को बयां करते है लेकिन हाथ मिलाने से अधिक बेहतर होता है कि हम संबधित व्यक्ति को नमस्कार करें। माना जाता है कि जब दो लोग आपस में हाथ मिलाते है तो उनके शरीर में उत्पन्न तंरगें एक-दुसरे की अंगुलियों में स्थानांतरित हो जाती है। यदि दोनों व्यक्तियों में से किसी एक के शरीर में भी अनिष्टकारी तरंगें मौजूद है तो वह दूसरे के शरीर में भी प्रवेश कर जाते है।

- अपने पापों का प्रायश्चित करनें के लिए मृत आत्मा की शांति के लिए परिजनों को हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी होती है ताकि मृत शरीर की आत्मा बिना किसी कष्टों के मुक्त हो जाए। पहले ऐसा नहीं हुआ करता था सतयुग त्रेता युग औ द्वापर युग तीनों ही युग में व्यक्ति अधिक सात्विकता से जीवन जीते थे इसलिए मरणोपरांत उनकी आत्मा सीधे ही देवयोनि को प्राप्त हो जाया करती थी।

- इसी तरह अक्सर आपके द्वारा मंदिर में प्रवेश करते दौरान मंदिर की सिढिय़ों को अपने दाएं हाथ की अंगुलियों से छूकर उस हाथ को सिर पर फेरा जाता है। इसके पिछे भी एक कारण छिपा है ऐसा करनें पर मंदिर के भीतर मौजूद देवताओं की तंरगें व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है।

नमन करनें का सही तरीका-

-मंदिर में भगवानों को नमस्कार करते समय सर्वप्रथम अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर अंगुलियों को ढीला छोड़ देना चाहिए। इसका भी ध्यान रखाना चाहिए की हाथों की अंगुलियां अपनें अंगूठे से दूर ही रहे। ताकि हाथ जोड़नें पर अपनी पीठ को थोड़ा सा झुकाएं और हथेलियों से भौहों के मध्य भाग -  को छू लें।

- अपनें मन में अपनें इष्टदेव की मूर्ति बनाने का प्रयास करें। ऐसा करनें के पश्चात अपनें हाथ सीधे नीचे लाकर ना छोड़ दे बल्कि नम्रतापूर्वक छाती के मध्य भाग तक लाएं और कुछ समय तक ऐसे रखें और फिर नीचे लाकर छोड़ दे।

- जब भी आप अपनें किसी परिचित से मिलें तो आपका उन्हें सत्कार करनें का तरीका भी आदरणीय भाव में होना चाहिए। अपनें हाथो की दोनों अंगुलियों को एक दुसरे से जोड़े और तब आपके अंगूठे छाती से कुछ ऊपर हों।

 ऐसा करनें से आपके अंदर उनके प्रति आदरभाव का संचार उत्पन्न होगा।

- हाथ जोड़ते समय बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिनमें किसी को भी नमन करते समय अपनें दोनों आंखो को बंद रखना चाहिए। कभी भी मात्र सिर हिलाकर    या एक हाथ से कभी नमन नहीं करना चाहिए।

- महिलाएं नमन करते समय अपने सिर को ढ़कें।



 

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