सिद्धि-विनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दांईं तरफ मुड़ी होती है, वे सिद्धपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्धि विनायक मंदिर कहलाते हैं। सिद्धि विनायक मंदिर भारत के रईस मंदिरों में से एक माना जाता है। यह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की करजत तहसील के दूरस्थ गांव सिद्धटेक में स्थित है।
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सिद्धटेक भीमा नदी के किनारे बसा है। नदी का प्रवाह दक्षिणमुखी है। एक रोचक बात यह है कि यह स्थान बहुत शांत क्षेत्र है। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि यहां भीमा नदी तेज गति से प्रवाहित होती है, परंतु उसका कोई शोर नहीं होता। यहां श्री सिद्धविनायक गणेश सिद्धि देने वाले बलशाली देवता के रुप में प्रसिद्ध हैं।
अष्टविनायक गणेश में श्री सिद्धि विनायक मंदिर उत्तरामुखी होकर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर में श्री सिद्धविनायक गणेश की स्वयंभू प्रतिमा विराजित है। यह स्थान 5 फिट ऊंचा और 10 फीट लंबा है। सिद्धिविनायक प्रतिमा के आस-पास जय और विजय की कांसे से बनी मूर्ति भी विराजित है। मंदिर में ही शिव परिवार का छोटा सा मंदिर है।
प्रतिमा जाग्रत मानी जाती है। यह तीन फीट ऊंची है और ढाई फीट चौड़ी है। सिद्धिविनायक की सूंड दाएं ओर मुड़ी हुई है। दांए सूंड वाली गणेश प्रतिमा और मंदिर को बहुत सिद्धि देने वाला माना जाता है। ऐसे गणेश शीघ्र कृपा करने वाले और प्रसन्न होने वाले माने जाते हैं। प्रतिमा गजमुखी है, फिर भी उनकी सूंड बहुत बड़ी नहीं है।
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रिद्धी और सिद्धि श्री गणेश की पालथी में विराजित है। मुख मण्डल बहुत सुंदर और आकर्षक है। एक प्रदक्षिणा 5 किलोमीटर की होती है। मुख्य मंदिर के समीप ही अन्य देवी-देवताओ के मंदिर है। जिनमें भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता शीतला मंदिर प्रमुख है।
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