हिन्दू धर्म में सूतक और पातक दोनों का ही बहुत बड़ा महत्व है। सूतक लगने के बाद मंदिर में जाना वर्जित हो जाता है। घर के मंदिर में भी पूजा नहीं होती है। ये प्रक्रिया सभी हिंदू घरों में अपनाई जाती है। मन में यही प्रश्न उठता है कि ये सूतक और पातक क्या होते हैं...
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क्या है सूतक :-
जब भी परिवार में किसी का जन्म होता है तो परिवार पर दस दिन के लिए सूतक लग जाता है। इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य ना तो किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकता है और ना ही मंदिर जा सकता है। उन्हें इन दस दिनों के लिए पूजा-पाठ से दूर रहना होता है। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना तब तक वर्जित होता है जब तक कि घर में हवन ना हो जाए।
कितने दिनों तक रहता है इसका असर :-
सूतक का संबंध ‘जन्म के’ निमित्त से हुई अशुद्धि से है। जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘सूतक’ माना जाता है।
10 दिन का सूतक माना है। प्रसूति (नवजात की मां) का 45 दिन का सूतक रहता है। प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध रहता है। इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं।
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क्या है पातक :-
पातक का संबंध ‘मरण के’ निमित्त से हुई अशुद्धि से है। मरण के अवसर पर दाह संस्कार में जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘पातक’ माना जाता है।
पालतू पशुओं का सूतक पातक :-
सूतक-पातक का असर केवल किसी इंसान के जन्म पर ही नहीं होता है बल्कि अगर घर में पालतू पशु या जानवर हो तो उनके जन्म और मृत्यु पर भी इसका असर होता है
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर 1 दिन का सूतक रहता है किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता ।
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