हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु और शिव की तो पूजा की जाती है लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती है। जबकि इस विश्व की उत्पत्ति ब्रह्मा जी ने ही की है। जितने भी जीव जंतु हैं वे सब ब्रह्मा से उत्पन हुए हैं। ब्रह्मा बुद्धि के देवता हैं और चारों वेद ब्रह्मा के सिर से उत्पन हुए हैं।
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इसके बाद भी ब्रह्मा की पूजा नहीं की जाती है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है। चलिए आपको बताते हैं आखिर ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं की जाती है...
शिव का श्राप बना कारण :-
एक बार ब्रह्माजी व विष्णु जी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा।
अतः दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले। छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुंच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा और न ही ब्रह्माजी की पूजा की जाएगी। इसी कारण ब्रह्माजी की पूजा नही की जाती है।
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सरस्वती ने दिया अभिशाप :-
ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण के बाद देवी सरस्वती को बनाया। सरस्वती को बनाने के बाद ब्रह्मा जी उनकी खूबसूरती से मोहित हो गए। सरस्वती ब्रह्मा से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने अपना रूप बदल लिया। लेकिन ब्रह्मा ने हार नहीं मानी। अंत में सरस्वती ने गुस्से में आकर ब्रह्मा को शाप दिया कि दुनिया का निर्माण करने के बावजूद उनकी पूजा नहीं की जाएगी क्योंकि वे पूजा के लायक नहीं हैं। इस कारण भी ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती है।
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