अधिकतर सभी मंदिरों और पूजा स्थलों पर परिक्रमा की जाती है। सभी सदियों से चली आ रही इस परंपरा को निभाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं मंदिर के चारों ओर परिक्रमा क्यों की जाती है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं जो इस प्रकार हैं, आइए आपको बताते हैं इनके बारे में....
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प्रदक्षिणा का अर्थ है परिक्रमा करना। उत्तरी गोलार्ध में प्रदक्षिणा घड़ी की सुई की दिशा में की जाती है। जब आप घड़ी की सुई की दिशा में घूमते हैं तो आप कुछ खास प्राकृतिक शक्तियों के साथ घूम रहे होते हैं।
घड़ी की सुई की दिशा में किसी प्रतिष्ठित स्थान की परिक्रमा करना इस संभावना को ग्रहण करने का सबसे आसान तरीका है।
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खासतौर से भूमध्य रेखा से 33 डिग्री अक्षांश तक यह संभावना काफी तीव्र होती है, क्योंकि यही वह जगह है जहां आपको अधिकतम फायदा मिल सकता है।
जब आप परिक्रमा कर रहे होते हैं तो आपका दिल और दिमाग उसी ओर केंद्रित होता है। आपके अंदर के नकारात्मक विकार नष्ट हो जाते हैं और आपका शरीर केंद्र बिंदू पर पहुंच जाता है।
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