नोटबंदी ने खोले मोबाइल वॉलेट के विकास के द्वार

Samachar Jagat | Monday, 21 Nov 2016 02:42:20 PM
Notban opened the door for the development of mobile wallet

नई दिल्ली। 500 और 1000 रुपए के नोट पर गत आठ नवंबर को लगे प्रतिबंध से सबसे अधिक लाभ ऑनलाइन पेमेंट की सेवा देने वाली डिजीटल वॉलेट कंपनियों का हुआ है और कुछ ही दिनों में इनके उपभोक्ताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।


उद्योग संगठन एसोचैम के ताजा अध्ययन से यह बात सामने आई है कि बाजार में नए नोटों की कमी और नगद निकालने की तय सीमा के कारण लोगों को रुझान अब नगदरहित भुगतान सुविधा देने वाले ऑनलाइन पेंमेंट प्लेटफार्म जैसे पेटीएम और फ्रीचार्ज की ओर हो गया है।

नोटबंदी के कारण अधिक से अधिक खुदरा विक्रेता को लेनदेन के लिए अब ऑनलॉइन पेंमेंट का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। ऑनलाइन पेंमेंट सुविधा देने वाली प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट(पीपीआई) के नाम से जाने जाने वाली लगभग 45 कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं लेकिन बस चंद ही कंपनियां अपने प्रचार के दम पर नाम बना पा रही हैं।

 एसोचैम के महासचिव डी एस रावत के अनुसार इन मोबाइल वॉलेट कंपनियों के लिए नोटबंदी आगे बढने के मौके के रुप में आई है। सिर्फ अभी नगदी की समस्या के होने तक ही नहीं बल्कि आगे भी इनके कारोबार में वृद्धि होती रहेगी और घर के पास के किराना स्टोर भी इसका इस्तेमाल करते दिखने लगेंगे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सडक़ किनारे बने ढाबे भी मोबाइल वॉलेट से बिल का भुगतान करने लगेंगे।

 भारतीय रिजर्व बैंक ने वस्तु एवं सेवा की खरीद के लिए ऑनलाइन भुगतान सुविधा देने वाले मोबाइल वॉलेट को मंजूरी दी है। एसोचैम का कहना है कि जिस तरह सरकार नगद रहित भुगतान को बढावा दे रही है उसे देखते हुए ये कंपनियां अपने उत्पाद के नवाचार में ज्यादा निवेश करेंगी और ज्यादा से उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों तक अपनी पहुंच बनाएंगीं। 


अध्ययन के अनुसार इन मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करने वाले व्यापारियों को अधिक जागरुक रहने , साइबर सुरक्षा के प्रति सचेत रहने और प्रशिक्षण लेने की जरुरत है। मोबाइल वॉलेट के प्रचलन को देखकर अब बैंक भी लेनदेन के लिए ऐसी सेवाएं देने की इच्छुक होंगे। 

आरबीआई के अनुसार फिलहाल 67 बैंक 12 करोड़ उपभोक्ताओं को मोबाइल सेवा प्रदान कर रहे हैं। यह संख्या अब और तेजी से बढ़ रही है। 



 

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