कुछ साल पहले एक फिल्म आयी थी गजनी जिसमे मुख्य किरदार सबकुछ याद रखने के लिए अपने शरीर पर सबके नंबर और नाम गुदवाकर रखता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला आदिवासी अंचल में। लेकिन यहां किसी को कोई भूलने की बीमारी नही है बल्कि लोगो के आपस के प्यार और दुलार की निशानी है। दरअसल उदयपुर के सुदूर कोटड़ा छेत्र के आदिवासी महिलाये अपने ओढ़नी पर अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम और नंबर को गुदवाकर रखती है। ये अपने करीबी के प्रति प्यार दिखने का अनूठा अंदाज़ है।
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जानकारों की मानें तो समय के साथ आदिवासी क्षेत्रों में भी बदलाव की बयार बह रही है। यहां की अनपढ़ महिलाओं में अपनापन कूट-कूटकर भरा है। एेसे में उन्होंने याददाश्त के लिए नया तरीका अपनाया है। पढ़े-लिखे लोग जहां फोन नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लेते हैं और जरूरत पर डायल कर बात कर लेते हैं। वहीं इन आदिवासी महिलाओं ने मोबाइल नंबर संभालने के लिए ओढऩी पर ही बेटे व परिजनों के नंबर कसीदे से कढ़वा लिए हैं।
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सेहत के लिए भी जागरूक
अब तक आदिवासी अंचल में गोदना-गुदवाने का चलन बहुतायत में था। शारीरिक नुकसान के चलते इसमें कमी आने लगी है। बदले में लूगड़े पर नंबर कसीदा कढ़वाने का चलन बढ़ा है। पुरानी परम्परा को नया रूप मिला है और गोदने के दर्द से भी राहत मिली है।
गोदने का नया विकल्प है बदलाव
याददाश्ती के लिए महिलाएं लूगड़े पर नाम लिखवाती हैं। लूगड़ा खो जाए या चोरी हो जाए तो भी मिल जाता है। मोबाइल नंबर ध्यान रखने के लिए लिखवाती हैं। पहले गुदवासे से बीमारियां होती थीं। अब इस परम्परा में भी कमी आई है।