केंद्र सरकार ने दवाओं के दाम बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। 1 अप्रैल से बढ़ेंगी दवा की कीमतें

Samachar Jagat | Saturday, 26 Mar 2022 02:31:01 PM
Price hike / Where will this inflation stop?

केंद्र सरकार ने दवाओं के दाम बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। 1 अप्रैल से बढ़ेंगी दवा की कीमतें

  • एक बार फिर महंगाई ने जनता पर प्रहार किया
  • पेट्रोल-डीजल के बाद दवा के दाम भी बढ़ेंगे
  • 1 अप्रैल, 2022 से दवा की कीमतों में 10% की वृद्धि

महंगाई का असर आम जनता पर पड़ रहा है। सब्जियों, रसोई गैस, दाल, दूध, चाय, कॉफी और मैगी के बाद रोजमर्रा की चीजों के दाम भी बढ़ने लगे हैं। उपभोक्ताओं को अब रोजमर्रा के सामान के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। एफएमसीजी कंपनियां गेहूं, पाम ऑयल और पैकेजिंग फूड समेत अन्य सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा रही हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से सभी जिंसों के दाम आसमान छू रहे हैं। अब दवाओं के दाम 10 फीसदी तक जाने वाले हैं.

दवाओं के दाम 10 फीसदी तक बढ़ेंगे
 पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के बाद अब दवाएं भी महंगी होने जा रही हैं। अप्रैल से 800 से अधिक आवश्यक दवाओं की कीमतों में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है। इनमें बुखार, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं शामिल हैं।

बढ़ेंगे खाने के दाम!

पेट्रोल और डीजल के दाम दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। जहां ज्यादातर शहरों में पेट्रोल 100 के पार पहुंच गया है, वहीं लगातार कीमतों में बढ़ोतरी आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बन गई है. डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से आने वाले दिनों में खाद्य कीमतों में भी तेजी आने की संभावना है। इस बीच महंगाई का असर दवाओं पर भी पड़ा है। केंद्र सरकार ने दवाओं के दाम बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। नतीजतन, 800 से अधिक आवश्यक दवाएं अप्रैल से 10 प्रतिशत से अधिक महंगी हो जाएंगी।

पैरासिटामोल के लिए देना होगा ज्यादा भुगतान

अगले महीने से आपको पेरासिटामोल, फ़िनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाज़ोल जैसी दर्द निवारक और एंटीबायोटिक जैसी आवश्यक दवाओं के लिए और भी अधिक भुगतान करना होगा। नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी के मुताबिक, यह थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि के कारण है। 1 अप्रैल 2022 से दवाओं के दाम बढ़ जाएंगे।

काफी समय से थी डिमांड

कोरोना महामारी के मद्देनज़र दवा उद्योग लगातार दवा की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग करता रहा। इसके बाद प्रस्तावित दवाओं की कीमतों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। अनुसूचित दवाओं में आवश्यक दवाएं शामिल हैं और उनकी कीमतें नियंत्रित हैं। इनकी कीमत बिना अनुमति के नहीं बढ़ाई जा सकती है।



 

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