Reserve Bank ने रेपो दर आधा प्रतिशत बढ़ाई, महंगाई पर काबू के लिए नरम रुख छोड़ने की तैयारी

Samachar Jagat | Friday, 05 Aug 2022 04:04:20 PM
Reserve Bank hikes repo rate by half a percentage point, preparing to leave a soft stance to control inflation

मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिये नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। इससे कर्ज की मासिक किस्त बढ़ने के साथ बैंकों से ऋण लेना महंगा होगा। चालू वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार तीसरी बार नीतिगत दर बढ़ाई गई है। कुल मिलाकर 2022-23 में अबतक रेपो दर में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। इसके साथ ही प्रमुख नीतिगत दर महामारी-पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है। अगस्त, 2019 में रेपो दर 5.4 प्रतिशत पर थी।
साथ ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी निर्णय किया है।

रेपो दर में वृद्धि के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत से बढ़कर 5.15 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर 5.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.65 प्रतिशत तथा बैंक दर 5.65 प्रतिशत हो गयी है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन अगस्त से शुरू तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ''एमपीसी ने आम सहमति से रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने का फैसला किया।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है।रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक अपनी तात्कालिक कोष की जरूरत को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं।

दास ने कहा, '' मौद्रिक नीति समिति ने आने वाले समय में मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुसार काबू में लाने के साथ आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के इरादे से नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा कि ये निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के साथ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य के अनुरूप है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा महंगाई दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा, ''घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। चार अगस्त, 2022 तक दक्षिण पश्चिम मानसूनी बारिश दीर्घावधि औसत से छह प्रतिशत अधिक है। खरीफ बुवाई गति पकड़ रही है।’’ दास ने यह भी कहा कि निर्यात, वाहनों की बिक्री, ई-वे बिल जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े तेजी का संकेत देते हैं। शहरी मांग मजबूत हो रही है, ग्रामीण मांग भी गति पकड़ रही है। इसके आधार पर आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

रिजर्व बैंक के अनुसार, ''चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’ मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया है, ''वैश्विक स्तर पर जारी संकट और उसके कारण उत्पन्न अनिश्चितता के कारण मुद्रास्फीति पर असर पड़ रहा है। हालांकि हाल में खाद्य और धातु के दाम उच्चस्तर से नीचे आये हैं और वैश्विक स्तर पर कच्चा तेल भी कुछ नरम हुआ है लेकिन यह अभी भी ऊंचा बना हुआ है। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ सकता है।’’

आरबीआई ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके 7.1, तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है। अगले वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई के पांच प्रतिशत पर रहने का अनुमान रखा गया है।रिजर्व बैंक के अनुसार, मुद्रास्फीति में घट-बढ़ को लेकर जोखिम दोनों तरफ बराबर बना हुआ है। बयान के अनुसार, एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच....डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में वोट किये जबकि प्रो. जयंत आर वर्मा इसके पक्ष में नहीं थे।

विकासात्मक और नियामकीय नीतियों के तहत आरबीआई ने अन्य बातों के अलावा 'क्रेडिट’ के बारे में सूचना देने वाली कंपनियों (सीआईसी) को रिजर्व बैंक की ओम्बुड्समैन योजना के दायरे में लाने का निर्णय किया है।रिजर्व बैंक एकीकृत ओम्बुड्समैन योजना (आरबी-आईओएस), 2021 के तहत फिलहाल शहरी सहकारी बैंकों समेत अनुसूचित वाणिज्यिक, गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक आते हैं।रिजर्व बैंक ने कहा, ''आरबी-आईओएस को और अधिक व्यापक बनाने के लिये क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को इसके दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है। यह इन कंपनियों के ग्राहकों को शिकायतों के समाधान के लिये लागत मुक्त वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करेगा।’’

साथ ही आंतरिक स्तर पर शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये सीआईसी को आंतरिक ओम्बुड्समैन के दायरे में भी लाने का निर्णय किया गया है।इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने भारत में अपने परिवारों की ओर से बिजली, शिक्षा समेत अन्य बिलों के भुगतान के लिये अनिवासी भारतीयों को भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) का उपयोग करने की अनुमति देने के लिये व्यवस्था बनाने का निर्णय किया है। अभी यह सुविधा केवल भारत में रहने वाले लोगों के लिये है।

केंद्रीय बैंक ने कहा, ''प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भारत में अपने परिवारों की तरफ से बिजली, शिक्षा और अन्य बिल भुगतान की सुविधा देने के लिये बीबीपीएस को सीमापार से भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव है...इस बारे में शीघ्र ही निर्देश जारी किये जाएंगे।’’भारत बिल भुगतान प्रणाली का परिचालन भारतीय भुगतान राष्ट्रीय भुगतान निगम करता है।



 

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