भारतीय रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा कंपनियों के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। आरबीआई ने एनबीएफसी से कहा कि वह प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी मंजूरी मिलने के बाद ही रियल एस्टेट सेक्टर को कर्ज देगा।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा कंपनियों के लिए आरबीआई ने सख्त किए नियम
- परियोजना से जुड़ी सभी स्वीकृतियां प्राप्त होने पर रियल एस्टेट क्षेत्र को ऋण प्रदान करता है
- कुछ मामलों में ऋण स्वीकृत करने से पहले एनबीएफसी को भी अनुमोदन लेना होगा
- नए नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी होंगे
आरबीआई ने कहा है कि कुछ मामलों में कर्ज मंजूर करने से पहले एनबीएफसी को भी मंजूरी लेनी होगी। आरबीआई ने कहा है कि एनबीएफसी को अपने चेयरमैन, एमडी या उसके रिश्तेदारों और निदेशकों को 5 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का कर्ज नहीं देना चाहिए। इसके अलावा अगर एनबीएफसी का निदेशक किसी फर्म में भागीदार है तो उस पर सख्त नियम लागू होंगे। आरबीआई द्वारा बदले गए सभी नियम 1 अक्टूबर 2022 से लागू होंगे।
बोर्ड को सूचित करने की आवश्यकता
आरबीआई ने कहा है कि अगर एनबीएफसी को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कर्ज देना है तो उसे पहले बोर्ड को इसकी जानकारी देनी होगी। किसी भी बिल्डर प्रोजेक्ट के लिए लोन अप्रूवल प्रोजेक्ट को सभी अप्रूवल मिलने के बाद ही मिलेगा। छोटे एनबीएफसी को निदेशकों को ऋण प्रदान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के साथ आना होगा। बुनियादी स्तर की एनबीएफसी जमा स्वीकार नहीं करती हैं और उनके पास 1000 करोड़ रुपये से कम की संपत्ति है। यदि मध्यम स्तर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी जमा स्वीकार नहीं करती हैं तो उनकी संपत्ति का आकार 1000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है।