राजस्थान के कोटा में स्थापना के नौ सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की प्रतिमाओं के विसर्जन की और उसके पहले पंडाल सजाकर उनके नौ दिन तक आतिथ्य भाव से पूजन किया जा रहा है। एक ओर जहां अनंत चतुर्दशी महोत्सव आयोजन समिति भव्य तरीके से इस आयोजन को मनाने और इस दिन निकलने वाली शोभायात्रा की तैयारी में जुटी है, दूसरी ओर जिला प्रशासन इस दिन निकलने वाली शोभायात्रा और रात को भगवान गणेश की प्रतिमाओं के शांतिपूर्ण तरीके से विसर्जन के लिए कमर कसी है।
इस समूचे आयोजन को सफलता के साथ शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए इसकी तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर हर साल होती है क्योंकि वर्ष 1989 में छह सितंबर को शहर के घंटाघर इलाके में वहां से गुजर रहे जुलूस पर बम फेंके जाने की घटना के बाद कोटा में नहीं बल्कि समूचे हाडोती अंचल में भड़के सांप्रदायिक दंगों और तनाव के बाद से इस जुलुस को काफी संवेदनशील माना जाने लगा है।
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी की स्थापना से दो दिन पहले ही जिला मजिस्ट्रेट में आने वाले त्योहारी सीजन को देखते हुये कोटा शहर सहित जिले भर में संवेदनशील स्थानों के लिए विभिन्न स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर शांति एव व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंप दी थी। अनंत चतुर्दशी महोत्सव आयोजन समिति ने भी अपने स्तर पर इस समूचे आयोजन को भव्य बनाने की तैयारी में जुटी है। कोटा में हालांकि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 300 स्थानों पर भगवान गणपति के पांडाल लगाने की अनुमति दी है लेकिन असल में पूरे शहर में एक हजार से भी अधिक पंडाल सजाए गए हैं।
इस बार अनंत चतुर्दशी महोत्सव को लेकर लोगों में खास उत्साह है क्योंकि वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पिछले दो सालों में कोटा में अनंत चतुर्दशी पर जुलूस निकालने की इजाजत नहीं मिली थी। वर्ष 2020के शुरुआती महीनों में ही कोरोना संक्रमण होने के बाद जिला प्रशासन और अनंत चतुर्दशी शोभायात्रा आयोजन समिति ने संयुक्त रूप से जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया था। राज्य सरकार ने भी कोटा ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन, जुलूसों, मेलों आदि पर सख्ती से रोक लगाई हुई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2०2० में सार्वजनिक स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना पर रोक लगा दी गई थी। किसी भी स्थान पर पंडाल सजाने की अनुमति नही दी थी। लोग अपने घरों पर गणपति की स्थापना कर सकते थे लेकिन विसर्जन के समय पांच लोगों को ही जाने की अनुमति प्रदान की गई थी। यह सिलसिला अगले वर्ष 2021 में भी जारी रहा।
इस बार दो साल बाद भव्य तरीके से अनंत चतुर्दशी महोत्सव मनाया जाएगा और प्रशासनिक अनुमति से शोभायात्रा भी निकाली जायेगी। हालांकि शुरू में प्रशासन ने केवल तीन फीट की भगवान गजानन की मूर्ति बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके विरोध के बाद अनंत चतुर्दशी शोभायात्रा आयोजन समिति के आग्रह पर इसमें छूट मिल गई है। अब 12 फुट की मूर्ति की बनाने, उसकी स्थापना की जा सकेगी और शोभायात्रा में भी शामिल होंगी।नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने भी दो दिन के दौरे के बाद जयपुर लौटने से पहले कोटा में एक बैठक करके प्रशासनिक अधिकारियों को अगले एक सप्ताह में वर्षा के कारण उखड़ी-टूटी उन सभी सड़कों की मरम्मत के निर्देश दिए है जुलूस के मार्ग में पड़ेगी।