नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव का आज समापन हो गया। भारत हर साल नवरात्रि के नौवें दिन आयुध पूजा मनाता है। इस शुभ दिन पर लोग अपने काम से जुड़े औजारों और वस्तुओं की पूजा हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि का नौ दिवसीय उत्सव महिषासुर राक्षस पर देवी दुर्गा की जीत की याद दिलाता है और अश्विन महीने की अमावस्या के बाद शुरू होता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस उत्सव को आयुध पूजा के रूप में जाना जाता है, तमिलनाडु में आयुध पूजा या आयुथ पूजा कहा जाता है। इसे ओडिशा में अस्त्र पूजा के रूप में मनाया जाता है।
आयुध पूजा 2022: इतिहास
आयुध पूजा का दिन कई अलग-अलग किंवदंतियों से जुड़ा है। सबसे प्रसिद्ध किंवदंती सबसे बड़े हिंदू महाकाव्य, "महाभारत" से निकलती है। महाभारत के अनुसार तीसरे पांडव राजकुमार अर्जुन को अपने "वनवास" के दौरान अपने हथियार इकट्ठा करने की अनुमति देने से पहले 14 साल जंगल में बिताने के लिए मजबूर किया गया था।
अपने दुश्मनों, कौरवों द्वारा स्थापित एक जुए के खेल में सब कुछ हारने के बाद उनको वनवास के लिए भेज दिया गया था। पांडवों ने कौरवों से हथियार प्राप्त करने, उन्हें हराने और उनके जीवन और राज्य को पुनः प्राप्त करने के बाद युद्ध किया।
इस दिन भक्त अपने हथियारों, उपकरणों, संगीत वाद्ययंत्रों और साहित्य की पूजा करते हैं। जैसे-जैसे समाज आधुनिक युग में आगे बढ़ा, हथियार की पूजा का महत्वपूर्ण कम हो गया है और श्रम के संबंधित उपकरण और वस्तुओं ने पूजा की वस्तुओं के रूप में उनका स्थान ले लिया है।
आयुध पूजा 2022: तिथि, शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि शुरू शाम 4:37 बजे - 3 अक्टूबर 2022
नवमी तिथि समाप्त दोपहर 2:20 बजे - 4 अक्टूबर 2022
आयुध पूजा 2022: शुभ मुहूर्त
द्रिकपंचांग के अनुसार आयुध पूजा करने का सबसे अच्छा समय 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2.08 बजे से दोपहर 2.55 बजे तक है।