जयपुर। कोरोना रोग के साथ- साथ जयपुर में मंकी पॉक्स नामक खतरनाक रोग का खतरा बढ गया है। जानकार सूत्रों के मुताबिक यह रोग प्राय:कर बंदरों से इंसान मेंं फेै लता है। इसके संक्रामक वायरस को आर्थो पॉक्स के नाम से जाना जाता है। एचआईवी रोग की तरह इसकी मार भी बेहद खतरनाक है। वरिष्ठ चिकित्सकोें का कहना है कि अब तक के शोध के अनुसार यह बीमारी पेसेंट के ब्लड, थूक, खांसी और रोगी के बिस्तरों, शौच और पेशाब के जरिए भी मानव जीवों पर अटेक करता है। इससे बचाव के लिए बंदरों से अपने आप को दूर रखना आवश्यक है। प्रशासन की मदद से बंदरोें को पकड़ने का अभियान चलाया जा सकता है।
हालांकि इस तरह के प्रयास प्राय:कर अधिक प्रभावशाली नहीं होते है। जयपुर नगर निगम पर बहाने बाजी की शिकायतें आम हो गई है।निगम प्रशासन के साथ बड़ी समस्या यह भी है कि उनके पास साधनों की कमी है। बंदरों को पकड़ने के लिए विश्ोष तरह के जाल और ट्रेण्ड स्टाफ आवश्यक होता है। मगर अफसोस इस बात का है कि निगम की एंटी मंकी शाखा में एक से दो संविदा कर्मियों को लगाया गया है। जबकि समस्या बहुत ही पैचीदी और व्यापक है। मंकी पॉक्स का खतर जयपुर ही नहीं प्रदेश के अनेक शहरों में भी है। यहां तक कि गांव और कस्बे भी इसकी चपेट में आ चुके हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में इस रोग पर नियंत्रण के लिए अलग से टीम गठित की गई है। जो कि ना केवल दिल्ली बल्की देश क ी मैट्रो सिटी व अन्य शहरों में प्रस्तावित इस अभियान को कॉर्डिनेट करेगा। प्रभवित इलाके में चिकित्सकोें की टीम व आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करेगा। विश्व स्तर पर यह बीमारी ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और अफ्रीका मेंं फैल चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चैतावनी जारी की है। सूत्रोंं के अनुसार इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, ठंड लगना, लसीका तंत्रिका में सोजन आ जाने के अलावा इससे रोगी के शरीर पर चेचक की तरह दाने बन कर उसमें पानी भर जाता है। बीमारी दूर होने के बाद भी इन दानोंे के निशान स्थाई रूप से बन जाते है। पेसेन्ट का चेहरा कुरूप हो जाता है।
जयपुर मेंे खतरा
मंकी पॉक्स से जयपुर वासियों को भी खतरा है। क्यों कि यहां बंदरों की फैाज पर नियंत्रण के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए गए हैं। जबकि इस मसले को लेकर नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर करोना नियंत्रण की टीम की तरह विश्ोष शाखा बनाई जानी थी। मगर क्या कुछ किया जा चुका है, आगे की प्लानिंग को लेकर उच्च प्रशासन तक चिंतित है। ढीले ढाले प्रशासन के रवैये के चलते अनेक परिवारों ने अपने मकान को लोहे की जाली से ढक दिया है। ताकि बंदरों के आक्रमण से घर को बचाया जाए। शहर की अनेक कॉलोनियों में वहां के निवासियोंे ने खास तरीके की गुलेल और एयर गन के साथ- साथ आतिशबाजी के बमों को उपयोग होने लगा है। जौहरी बाजार, चांदपोल बाजार,इंदिरा बाजार, घाटगेट बाजार, रामगंज, बांदरी का नासिक आदि स्थानों की दुकानों पर बंदरों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास भी किए जाने लगे हँै।