City News : मुर्दे तेरे भी गजब के है खेल

Samachar Jagat | Tuesday, 28 Feb 2023 05:13:39 PM
City News :Murde tere bhi gazab ke hai game

समाचार जगत पोर्टल डेस्क। शमशान के वाकिए प्राय कर दुखद हुवा करते है। मगर इस केस में कई बार हालत इस कदर विचित्र हो जातें है कि अंतिम क्रिया में शरीक होने आए लोग अचंभित रह जातें है। इसी तरह का सीन गत शनिवार का है। सुबह का वक्त है। चांदपोल शमशान में कुछ चिता बारह घंटे जलने के बाद भी सुलग रही है। शव का बीच वाला अंश पूरी तरह नही जल पाया है और इसी के चलते उसका आकार गेंद की तरह गोला कार नजर आ रहा है।

अवशेष में मांस के जलने की तीखी गंध दूर तक परेशान कर रही है। इसी के आसपास की दो चिता पक जाने पर परिजनों के द्वारा फूल चुगने की तैयारियां चल रही है। अस्थियां बेहद गर्म होने पर  पतली सी छड़ी का उपयोग किया गया है, अस्थि फूल चुग्ने का काम हर कोई नहीं कर सकता है। इसमें भी शमशान के सेवक की सेवा लेनी पड़ जाती है। इसके लिए सुबह का समय उपयुक्त माना जाता है।

शमशान में सुबह का समय व्यस्त  रहता है। अस्थि संग्रह के बाद वहां साफ सफाई का काम चल रहा है। दो सूचनाएं एडवांस में बताई जा रही है। झाड़ू बुवारी के बाद चिता की लकड़ियां नियत स्थल पर डाले जाने की तैयारियां चल रही है। शमशान का सेवक अपनी देख रेख में स्वच्छता का कैंपेन चला करता है। अर्थी का ढांचा शमशान के कोने में रखा जा रहा है। कफन गरीब लोगों के पहनाव के काम आजाता है। सेवक के सेवक का जहां तक सवाल है, इसका निवास चिता वाली जगह के करीब  पक्के घर का सा होता है। दाहसंस्कार  के बाद मृतक के परिजन और मित्रजनों के लोट जाने पर,जलती चिता की देखभाल भी सेवक का काम होता है। शमशान में कई तरह के पूजन हुआ करते है।

इसका चढवा सेवक के घर काम आता है। इसी के चलते प्राय कर उनकी रसोई में भोजन कम ही बन पाता है। इनकी रसोई में बनी चाय इस कदर मीठी होती है कि हर कोई इसका सेवन नहीं कर सकता है। मिठाई के अलावा घी और बर्तनों की कमी महसूस नहीं होती।  देशी घी का हलवा तो रूटीन में बनता रहता है। धोती कुर्तें के अलावा लेडीज शादियों किंकमी नहीं होती है। शमशान में सेवक की भूमिका मैनेजर की तरह की होती है। शमशान की आर्थिक व्यवस्था प्रायकर वही देखता है। नगर निगम और शमशान के बीच वह सेतु  का सा काम करता है।दाह संस्कार के  पहले मृतक परिवार की आई डी वही रखता है।

मरण की सूचना तैयार करके उसे प्रशासन को देता है।  शमशान घाट के चौकीदार की भूमिका अदा करता है। दाह संस्कार और उससे संबंधित तमाम प्रक्रिया अपनी देख देखरेख में संपादित करवाता है। किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर नियंत्रित करने के लिए नगर निगम और पुलिस की मदद लेने के लिए आवश्यक कदम उठा सकता है। अक्सर अंतिम क्रिया के समय  इनका मौजूद रहना आवश्यक होता है। दाह संस्कार के समय कोई कानूनी पेचीदगी ना हो,इसपर भी अपनी पैनी नजर रखता है। इसके लिए लकड़ियों का कलेक्शन अपने आप में टेक्निकल हुवा करता है।

इसमें मुर्दे के सिर के लिए लंबी लकड़ियों को चुना जाता है। फिर सीने पर भारी लकड़ियां रखी जाती है। पावों की ओर जल्द जलने वाली छोटी लकड़ियां को सलेक्ट किया जाता है।  चिता में अक्सर आम के पेड़ की लकड़ियां काम में ली जाती है।सुखी घास की दो पुलिया रखी जाती है। इस मामले में जरा भी चूक हो जाने पर,चिता सही नही बन पन पाती। गलत चिता के चलते मुर्दे के शरीर को हवा के प्रवेश और धूवे के निकास का स्थान ना मिलने पर शव की अंतिम क्रिया में घंटों का समय लग सकता है। अनेक बार तो कपाल क्रिया ठीक से नहीं हो पाती है। 

शव दाह को लेकर सेवक का यह भी दावा है कि मुर्दे की चिता बनाने वाले को इस बात की जान कारी होना जरूरी है कि शव का वजन,उसका आकार। प्रमुख अस्थियों की क्रिया अलग अलग हुवा करती है। इसके अलावा चिता शांत होने के बाद फूल चुगने  के लिए आवश्यक व्यवस्था बनाए रखना भी उसका दायित्व होता  है। इन प्रमुख अस्थियों में मुर्दे के दांत, जो चिता की आग में क्षतिग्रस्त नहीं होते इन्हे चुगने को प्रायर्टी दी जाती है। अस्थियों के विसर्जन के समय मुर्दे के इन दांतों का अपना विशेष स्थान होता है।

सिंधी और पंजाबी समाज में अस्थि संग्रह का विशेष महत्व होता है। इसमें मुर्दे के गले के नीचे हार्ट के बीच एक खास किस्म की हड्डी हुवा करती है। जिसे आत्माराम के नाम से जाना जाता है।कहा जाता है कि यह  हड्डी स्टेचू की शक्ल में होती है। इसे देख कर मौत का कारण और मृतक की उम्र का पता लगाया जाता है। यह अस्थि बेहद नाजुक होती है। जरा भी झटका लगने पर वह खंडित हो सकती है। अस्थि विसर्जन के समय इस हड्डी को अलग दोने में फूल के बीच रखा जाता है। साथ ही विशेष मंत्रो का उच्चारण किया जाता है,ताकि दिवंगत आत्मा को मोक्ष मिल सके।

कहा जाता है कि अस्थियों को घर में प्रवेश नहीं दिया जाता। इसे अपशगुन माना जाता है। कई मौके पर इन अस्थि फूलों की थैली गुम हो जाती हैं।इस पर बड़ा झमेला हो जाता है। गुम हुई हड्डी के वजन के मुताबिक चांदी चढ़ाई जानी होती है। साथ ही विशेष पूजन किया जाता है। शमशान में अस्थियों की सुरक्षा की व्यवस्था शमशान प्रशासन करता है।



 


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