City News : जली लाश के कंकाल का रहस्य खुला

Samachar Jagat | Monday, 06 Feb 2023 05:17:55 PM
City News : Mystery of burnt corpse's skeleton revealed

पांच माह पहले पुलिस को एक जली हुई लाश का कंकाल मिला था। ब्लाइंड मर्डर का केश होने पर इसका राज खोलने के लिए ग्रेट नोएडा पुलिस राजस्थान और हरियाणा पुलिस से संपर्क करके दिन रात लगी हुई थी। चारों ओर के प्रेसर के बाद यह कांड पुलिस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गैस था। काफी माथा फोड़ी के बाद पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली थी।

जिसमें पता चला कि यह कंकाल असित सान्याल का था को जनकपुरी का रहने वाला था। तभी किसी ने उसका अपहरण कर लिया और नोएडा के पास ही उसका कत्ल करके लाश को जला दिया था। ताकि यह राज हमेशा के लिए खत्म किया जाय।  पुलिस ने खुलासा किया था की असित की हत्या उसके ही मित्र अनिल ने रुपए  के लालच में की थी। इस कांड में उसने उसके भांजे की भी मदद ली थी।दोनो के बीच यह तय हुवा था की पचास लाख रूपए को हड़पकर इसे बरा बर बांट लिया जवेगा। यहां पुलिस के nसामने प्रॉब्लम यह थी कि यह कंकाल असित सान्याल का ही है। कोर्ट में इसे कैसे साबित किया जाएगा।

ये सवाल इसलिए उठ रहा था कि दिल्ली में सान्याल अकेले हो था करता था। चुकी असित के परिवार में कोई सदस्य नहीं था लाश की पहचान के लिए  कोर्ट ने जांच एजेंसी को ।मोका ये वारदात  से बरामद  खोपड़ी के बाद ये पता चल सकेगा की यह कंकाल असित सान्याल की है या नहीं। जाहिर है कि मारने वाले की पहचान साबित होते ही क्राइम की कड़ियां और सबूत भी जोड़ कर एविडेंस की चैन तैयार की जा सकेगी। यहां इस बात का खुलासा होना आम लोगो के लिए आवश्यक था। यह सुपर इंपोजिसन तकनीक होती क्या है। इस तकनीक के जरिए किसी खोपड़ी को उसकी शक्ल और सूरत कई से दी जाती है।

फेशियल सुपर इंपोजिशान फोरेंसिक तकनीक है। इस टेस्ट में सैंटिड्ट के पास खोपड़ी होती है और जिस सक्स की तस्वीर भी रखी जाती है। साइंस सदा फोटो को कंप्यूटर में एक खास सॉफ्ट वियर की मदद से खोपड़ी और तस्वीर का मिलान किया जाता है। इस टेस्ट से कंकाल बनी खोपड़ी के खाश हिस्सो मसलन ललाट मुंह नाक, ग्लेबेला होठ,आंख चहरे की बनावट  जैसे करीब पंद्रह बिंदुओ को परखा जाता है। इसके बाद सैदान अपनी रिपोर्ट देता है।

इसी तरह एक और तकनीक है जिसे फेशियल री कांस्ट्रएक्शन तकनीक कहा जाता है। इसमें कंकाल खोपड़ी में मांस और चमड़ी जैसा खास तरह का मेटेरियल भरा जाता है। इस प्रक्रिया में बकायदा पूरा चहरा बनाया जाता है। इसमें आंख, कान नाक होठ सब हिस्से को आर्टफिसल तरीके से लगाया जाता है। फेशियल री कांसट्रेक्सन तकनीक के मृतक का चेहरा बनाया जाता है। आखिर में इस चेहरे की मृतक या संदिग्ध की फोटो से मिलान किया जाता है। सईटीफिक और फोरेंसिक इंबेस्टी गेतनकी बात की कई जाय भारत में कई ऐसे बड़े उदाहरण मिलते है की इसकी मदद से सबूत और गवाह के ना होने के बाद भी केश को अंजाम पहुंचाया जा सका है।

यहां निठारी किलिंगी की बात की जाय तो इस दौरान भी जांच एजेंसी के पास बच्चों की पहचान का कोई रास्ता नहीं था। लेकिन इस केस में जांच एजेंसी चंडीगढ  लेब से सभी बच्चों के डी न ए प्रोफाइलिंग  कराई गई थी उनकी दांत से लिक्विड लिए गई थे और उनको माता पिता के ब्लड से मिलाया गया था और इनको पहचान हो सकी थी। तब जाकर अपराधियों को सजा हो सकी थी।



 

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