जयपुर डेस्क। तेरह साल के दूसरे बच्चों की तरह मेरी बेटी भी कॉलेज जाने का सपना देख रही थी । वह डॉक्टर बनना चाहती थी। मगर उसका ख्वाब धरा का धरा रह गया। हमें पता चला कि वह धीरे धीरे मर रही है। यह सब साल 2019 में शुरू हुवा था। एक दिन मैंने देखा कि मेरी बेटी सारा को असामान्य रूप से तेज बुखार था और वह बहुत कमजोर दिख रही थी। मैने मेरे पति को फोन किया और सारा को हॉस्पिटल पहुंचाया। वहां हमें बहुत बुरी खबर सुनने को मिली जिसने हमारी जिंदगी को नरक बना दिया।
सारा का उपचार कर रहे डॉक्टर ने बताया कि सर और मैम। हम आपको बुरी खबर सुनाने जा रहे है। आप की बेटी ताहा को एक्यूट ब्लड कैंसर है मेरे मन को विश्वास नहीं हुवा। बार बार कहती रही कि डॉक्टर नहीं हो सकता उसे कैंसर। जरा फिर से उसका चेकअप करो। मेरा दिल फरियाद करने लगा, या अल्लाह ! ब्लड कैंसर। यही मेरी बच्ची को बीमार बना रहा था। मेरे पति सआडट ओर मैं सूट रह गए। कैंसर ? मेरी बेटी को? वह तो अभी बच्ची है।
यह मुझे क्यू नही हो गया कुछ देर, वहीं हॉस्पिटल की गैलरी में फर्श पर बैठ कर रोने लगी। रोती ही रही । अपनी बच्ची के पास जाने में कतराती रही। लेकिन अल्लाह मियां ने रहम किया। सीनियर डॉक्टर ने हमे अपने चेंबर में बुलाया और कहा की यह बीमारी इस पेटेंट के लिए जान लेवा नहीं होगी। नियमित रक्त दान,कीमो थेरेपी, और अंत में स्टेम सेल का प्रत्यारोपण करना होगा। हमने हर परिचित से भीख मांगी। हमे लगता था कि वो हमें उधार में पैसा देगा ।
हमने तुरंत ही रक्ताधान शुरू करवाया। साथ ही प्रत्या रोपण के लिए पैसे बचाने की योजना बनाई। लेकिन सालो की घड़ी की सुई घूमती रही। तभी कोरोना की महामारी ने सब गुड गोबर कर दिया। लोक डाउन में पति का कारोबार खत्म हो गया। हमारे पास खाने के पैसे खत्म हो गए। बेटी की जान बचाने को हमारे पास कुछ भी नहीं रहा। उसके जीवन रक्षक स्टेम सेल के लिए 25 लाख का खर्च है। इतना पैसा हमारे पास नहीं था। हमारी मदद करे।