जयपुर। बेटा और बेटी एक समान को लेकर देश भर में खासा अच्छा माहोल बना हुवा है। लोगों की धारणाएं भी इसी के चलते बदलने लगी है,मगर अफसोस इस बात का है की कुछ अपवाद आज भी दकियानूसी रास्ते पर चल रहे है। अनेक दुख दाई छुटपुट घटनाएं होने पर शर्म से सिर झुक जाता है। ऐसा ही एक वाकिया सतपुर इलाके का है,जहां एक परिवार में पुत्री ने क्या जन्म लिया की वहां शौक का इस कदर माहोल बना कि तीन सदस्यों ने फांसी लगा कर सुसाइड कर लिया। सार्थक की रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या करने वालों में बच्ची के पिता और चाचा शामिल है।
कहा जाता है कि वहां रहने वाले कारोबारी दीपक शिरादे पिता उम्र पचपन साल, परसाद शिरोड़े उम्र 25 साल,राकेश शिराडे परिवार अशोक नगर के आखिरी बस स्टॉप इलाके में फलों का ठेला लगाया करता है। करोना काल से ही इस परिवार आर्थिक संकट से घिरा हुया था। काफी प्रयासों के बाद भी वे परेशानी के दौर से नहीं उभरे। दूसरी ओर उधार मांगने वालों ने उनका जीना हराम कर दिया। तनाव के माहोल के चलते सभी सदस्य डिप्रेशन के शिकार हो गए। गत 29 जनवरी को जब इस परिवार के कुछ सदस्य किसी काम से घर से बाहर चले गए। इस बीच शिरोडे परिवार ने सुसाइड का कदम उठा लिया।
घरवाली जब घर वापस लौटी तो घर का दरवाजा भीतर से बंद पाया। कई देर तक जब दरवाजा नहीं खुला तो उसने पड़ोसी मदद ली। दरवाजा तोड़ कर वे जब घर के भीतर घुसे तो वहां का सीन देख कर उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। लोगों ने तुरंत ही उन्हें फांसी से मुक्त किया और उन्हें उपचार के लिए निकट के हॉस्पिटल ले गए। जहां चिकित्सकों ने इस तीनों को मृत घोषित कर दिया। कहा जा रहा है की घर के बड़े बेटे की पत्नी गर्भवती होने पर बड़े हॉस्पिटल चली गई। कल सुबह ही उसने बच्ची को जन्म दिया। यह समाचार गांव भर में फेल गया।
मगर इस परिवार ने बेटा होने की उम्मीदें लगाई हुई थी। मगर जब उनकी मनसा पूरी नहीं हुई तो आत्महत्या का खौफनाक कदम उठा लिया। गांव के मुखिया ने बताया कि दिवंगत परिवार मिलनसार था। लोगों के दुख सुख में उनकी भागीदारी रहती थी। संभवतय इसी के चलते समूचे गांव में हैरानी का माहौल बना हुवा है। घरों में चूल्हे तक नहीं जल सके है।