सरकार के पास योजना तो है, मगर इसकी क्रियाविंति की नब्ज दुख दे रही है
जयपुर। तेज गर्मी के चलते जयपुर में पानी का संकट गहरा गया है। जरूरत का पानी नहीं मिलने पर लोग दुखी है, सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। जलदाय विभाग के अधिकारियों के घ्ोराव की घटनाएं निरंतर बढती जा रही है। कहने को विभाग ने पीड़ित स्थलों में रह रहे लोगों को पानी उपलब्ध करवाने के लिए टेंकरोंं से पानी भिजवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मगर समस्या इस कदर जटिल हो गई है कि संबंधित विभाग के प्रयास बौने साबित हो रहे हैं।
जानकार सूत्रों के अनुसार पानी की समस्या जयपुर की चार दीवारी इलाके में काफी अधिक है। दिन में आधा घंटे से भी कम समय तक पानी आ रहा है, इसमें भी उसका प्रेशर बहुत ही कम है। मल्टी स्टोरी में रह रहे शहर वासियों की हालत तो बहुत ही सोचनीय हो गई है। शहर की बाहर की कॉलोनियों में सबसे विकट समस्या प्रताप नगर, जगतपुरा व महल रोड़ इलाके में विकसित की गई मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों व कॉलोनियों में बहुत ज्यादा है। लोगोंे की चित्कार जन प्रतिनिधियों तक जा पहुंची है।
इस मामले को लेकर राजस्थान विधान सभा मेंभी आवाज उठ चुकी है। क्ष्ोत्र के विधायक कालीचरण सराफ का कहना है कि उनके द्बारा सदन मेें पेश किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में जलदाय मंत्री महेश जोशी ने सदन को बताया कि जयपुर में अस्सी हजार के लगभग मल्टी स्टोरी बिल्डिंगें और चार लाख फ्लेट है। इसमें अनेक भवनों और कॉलोनियों में इसका निर्माण कार्य फिलहाल चल रहा है।
विधायक सराफ का कहना है कि इन कॉलोनीवासियों की परेशानी इस कदर विकट है कि उन्हंें पानी के टेंकर मंगवा कर अपनी जरूरतोंे को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इन टेेंकरों की रेट पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। जिसका परिणाम बेकशूर लोगोे को भुगतना पड़ रहा है। जानकारी में आया कि इन संकटग्रस्त कॉलोनियोंं में पानी के कनेक्सन देने के लिए जो रेट तय की गई है, वह बहुत ज्यादा है। इसमें कमी की जाए। विधायक के सवाल के जवाब में पीएचईडी विभाग के उच्च अभियंता का कहना है कि इस मसले को लेकर पिछले साल 19 जुलाई को विभाग के अधिकारियों और बिल्डर- डवलपर की बैठक हुई थी।
जिसमें प्रमुख शासन सचिन ने विभाग प्रशासन क ो स्पष्ट निर्देश दिए थ्ो कि इस मामले में आगामी दो माह में स्पेश्यल टास्क फोर्स की रिपोर्ट तैयार कर उसे कमेटी में पेेस किया जाए। मगर इस बारे में अब तक क्या प्रयास हुए। क्या उपलब्धियां रही, इसकी जानकारी बहुत ही निराशाजनक है। अफसोस इस बात का है कि जयपुर मेंं पानी के माफिया भी सक्रिय हो गए हैं, जो लोगोें की मजबूरियोें को नोच में लगे है। क्ष्ोत्रवासियोंे ने समय-समय पर इसका विरोध किया है, जलदाय मंत्री राजस्थान सरकार और विभाग के उच्च अधिकारियों को बराबर ज्ञापन दिए जा रहे हैं, मगर सवाल इस बात का है कि जनता की आवाज क ी सुनवाई की प्रोजिशन क्या है। ।
आंदोलनरत शहर वासियों का इस मामले में यह भी कहना है कि शहर में जगतपुरा, प्रतापनगर और महल रोड़ पर बिल्डिंग निर्मित क्ष्ोत्र के हिसाब से 25 रूपए प्रति वर्गफीट और बाकी जगह 42 रूपए प्रति फीट का पैसा वसूल कर पानी का कनेक्सन दिए जाने का दावा किया जा रहा है, मगर सच्चाई यह है कि अब तक केवल तीन हजार के लगभग पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। यहां जानकारी रहे कि सरकार 15 हजार लीटर मासिक उपभोग करने वालोें को मुफ्त मंें पानी उपलब्ध करवान े की बात कहती है, मगर इन दावों के मूल्यांकन कि या जाना भी तो जरूरी हो गया है। पीड़ितोंं ने यह भी बताया कि मल्टी स्टोरी कॉलोनियों व भवनों के निर्माण की स्वीकृति के साथ ही जे.डी.ए. संबंधित पक्ष से पानी, बिजली, रोड़, सीवरेज आदि के लिए निर्धारित राशि जमा करता है। ऐसे में प्राधिकरण की जिम्मेदारी बनती है कि जनता से पैसा वसूलने के साथ ही तमाम विकास कार्य पूरा करवाएं।