जयपुर। प्रदेश के संविदा दंत चिकित्सकों ने कोरोना काल में जी जान से मरीजों की सेवा के बावजूद राज्य सरकार की ओर से वेतन वृद्धि के समय उनके साथ बरते गए भेदभाव को लेकर रोष जताया है। इसको लेकर गुरुवार को दंत चिकित्सकों ने चिकित्सा निदेशालय में प्रदर्शन किया और अपनी मागों का ज्ञापन मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र सोनी को सौंपा।
दंत चिकित्सकों ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से बुधवार को ही जारी एक आदेश में एलोपैथी के संविदा चिकित्सा अधिकारियों का मानदेय बढाकर 56600 कर दिया गया है, लेकिन इस आदेश में दंत चिकित्सा अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया। राज्य सरकार के इस भेदभाव से समस्त दंत चिकित्सकों में रोष है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के लेखा नियमों के मुताबिक एलोपैथी से जुडे़ समस्त चिकित्सा अधिकारियों को समान मानते हुए समान वेतन का हकदार माना गया है, लेकिन एनएचएम निदेशक स्तर पर रही खामी के चलते समस्त दंत चिकित्सक इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। इस फैसले से चिकित्सा अधिकारी व दंत चिकित्सा अधिकारी के वेतन में लगभग दोगुना अंतर हो गया है।
निदेशालय के एक अन्य अधिकारी ने मौखिक रूप से इस भूल को स्वीकार भी किया है।
दंत चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना के पिछले दो सालों में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के बाद वेतन बढ़ाते समय सिर्फ चिकित्सा अधिकारियों का ही ध्यान रखा गया और दंत चिकित्सकों को इससे वंचित करके उनके मनोबल को तोड़ दिया गया, इससे दंत चिकित्सकों में निराशा है। आंदोलन कर रहे दंत चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना के दौरान सामान्य ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारों को इलाज मुहैया कराने में दंत चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह नहीं की लेकिन राज्य सरकार के फैसले ने उनको निराश कर दिया है।
दंत चिकित्सकों ने बताया कि चिरंजीवी योजना के शिविरों में विशेषज्ञ के रूप में गांव- गांव जाकर सेवाएं देने और ओरल हैल्थ सप्ताह व अन्य सरकारी कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लेते रहे हैं।