पणजी | दस दिवसीय गणेश उत्सव बुधवार को शुरू होने के साथ ही गोवा में लोगों ने अपने-अपने घरों में गणेश की मूर्तियां स्थापित कीं और देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे गोवावासी अपने परिजन से मिलने अपने घरों को भी लौटे। यह उत्सव राज्य से बाहर जाकर बस गए गोवा के लोगों के लिए अपने परिजन से फिर से मिलने का अवसर होता है। दक्षिण गोवा के सांवर्डे में स्थित 288 वर्षीय पुरानी हवेली 'सांवर्डे कर वाडा’ में इस साल परिवार के 250 से अधिक सदस्य एकत्र होंगे।
इस परिवार के सदस्य मंदार सांवर्डे कर ने कहा, ''यह हवेली 1734 में बनाई गई थी और तब से परिवार के सभी सदस्यों की हर पीढ़ी यह उत्सव मनाने के लिए एक छत के नीचे आती है।’’ इस आलीशान हवेली में करीब 80 कमरे और चार आंगन हैं। इस परिवार के सदस्य देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं। इस बार इस परिवार की 11वीं पीढ़ी हवेली में गणेश चतुर्थी साथ मनाएगी। इसी तरह दक्षिण गोवा के राया गांव में कुवेलकर परिवार के भी सभी सदस्य इस मौके पर एकजुट होते हैं और धूमधाम से गणेशोत्सव मनाते हैं।
इस परिवार के सदस्य डॉ. साईदत्त कुवेलकर ने कहा कि गणेश चतुर्थी के लिए एक सदी पुराने घर में लौटना उनकी परंपरा रही है। उन्होंने कहा, ''यह परंपरा लगातार जारी रहेगी।’’ पेशे से डॉक्टर साईदत्त कुवेलकर ने कहा, ''यह मकान 1918 में हमारे परदादा सदाशिव कुवेलकर ने बनवाया था। परिवार के सभी लोग 1966 तक इस घर में साथ रहते थे। इससे बाद हम काम आदि के सिलसिले में बाहर का रुख करने लगे। घर 1966 के बाद से साल भर बंद रहता है, लेकिन गणेश चतुर्थी के दौरान यह जीवंत हो उठता है क्योंकि गोवा के विभिन्न स्थानों और मुंबई में बसे परिजन यहां आते हैं।’’
उन्होंने कहा, ''गणेश उत्सव के लिए पकाया जाने वाला हर तरह का पारंपरिक भोजन अब भी तैयार किया जाता है। पुरुष धोती पहनते हैं और महिलाएं नौ गज की साड़ी (नौवारी साड़ी) पहनती हैं। परिवार का पुनर्मिलन हम सभी को बहुत उत्साहित करता है।’’
कैनाकोना के पालोलेम में मीडिया पेशेवर नीरज बांदेकर के 80 साल पुराने पैतृक घर में भी ऐसा ही उत्साह होता है। पालोलेम अपने समुद्र तट के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्ष के इस समय यह गणेश उत्सव के रंग में रंग जाता है।
बांदेकर ने कहा, ''मेरे सभी पांच चाचा हमारे पैतृक घर पर इकट्ठा होते हैं। त्योहार की तैयारी बहुत पहले से शुरू हो जाती है। इस अवसर को भव्य बनाने के लिए सभी समान रूप से योगदान देते हैं। गोवा में, यह एक ऐसा समय है जब परिवार एक साथ जुटते हैं।’’हिदू उत्सवों में खास गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। दस दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है।
कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने कहा कि भीड़ के कारण मुंबई से अतिरिक्त ट्रेन चलाई जा रही हैं, क्योंकि महाराष्ट्र में कोंकण तट के विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस दौरान गोवा स्थित अपने पैतृक गांवों में आते हैं।इस अवसर पर कुछ परिवारों ने पुरानी परंपराओं को तोड़कर नई पहल की।दक्षिण गोवा के बोरिम में सामंत परिवार की 19 वर्षीय क्षितिजा सामंत गणेश पूजा करने वाली, परिवार की पहली बेटी बनीं। क्षितिजा ने कहा, ''परिवार के सदस्यों ने फैसला किया कि इस साल पूजा मुझे करनी चाहिए। यह कहीं नहीं लिखा है कि लड़की पूजा नहीं कर सकती।’’