जयपुर. राज्य सरकार ने छोटे कामगारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इंदिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत छोटे दुकानदार , खाेमचे और रेहड़ी वाले अपना नया रोजगार शुरू करने या व्यापार को बढ़ाने के लिए 50 हजार तक ब्याज मुक्त लोन बिना ज्यादा कागजी ऑपचारिकताओं के ले सकते हैं। सरकार की योजना का उद्देश्य निसंदेह बेहतर है। इसीलिए सरकार ने इस बजट में योजना को मार्च 2023 तक बढ़ा दिया, लेकिन अब बैंक सरकार की इस बेहतरीन योजना को पलीता लगा रहे हैं।
इस योजना में आवेदक को बिना गारंटी के लोन दिया जाना तय है, लेकिन आवेदकों से खाली चेक और अनावश्यक कागजात मांगे जा रहे हैं। लोन के लिए आवेदन करने वाले महीनों तक बैंक के चक्कर काट रहे हैं, बैंक कभी कोई कागजात की कमी निकाल कर लौटा देते हैं तो कभी गारंटर की मांग की जाती है।
ऐसे भी कई आवेदक मिले हैं, जिन्होंने नगर निगम में लोन लेने के लिए फाइल लगाई है, नगर निगम की स्वीकृति के बाद फाइल बैंक में पहुंच चुकी है और उनके पास मोबाइल पर फाइल बैंक में आने का मैसेज भी आ चुका है, लेकिन अब फाइल बैंक में धूल फांक रही है।
बैंक में जाने पर कोई ना कोई कमी निकाल कर लौटा देते हैं। फोर्टी यूथ विंग प्रेसिडेंट धीरेन्द्र राघव का कहना है कि मुख्यमंत्री ने कम आय वाले युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए बेहतरीन योजना शुरू की है, लेकिन बैंकों का रवैया बेहद नकारात्मक है, जिसके कारण जरूरतमंदों को बेहतरीन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे बैंकों के खिलाफ सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।
इस योजना का पूरा लाभ जरूरतमंदों को मिले इसके लिए सरकार संशोधित नियमावली जारी करे। जिसमें सभी कागजात और ऑपचारिकताओं की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। इसके बाद नगर निगम और बैंक में लोन निस्तारण के लिए भी समय सीमा तय की जानी चाहिए। ऑपचारिकताएं पूरी करने पर भी बैंक लोन ना दे तो बैंक प्रबंधन के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।