जयपुर। अपराधी चाहे जितनी सावधानी बरत ले, मगर कानून के आगे वह नहीं बच सकाता। यह क्राईम स्टोरी ढाई साल के एक बच्चे की है। कलयुगी बाप उसे लेकर अपने ख्ोत में ले गया। जहां उसे टांग से पकड़ कर पहले उलटा लटका दिया और बाद में सिर के बल पथरीली जमीन पर पटक मारा। अपराधी ने यह हत्या बड़ी कुàशलता से की थी। तमाम तथ्य मिटा दिए और बच्चे के शव को श्मशान मंें ले जाकर उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया।
ग्रामीणों के समूह के बीच खड़ी बच्चे की मां काली देवी बताती है कि हमेशां की तरह उसका बेटा मेरे साथ घर क ी बैठक में सो रहा था। तेज ठंड होने पर उसने अपने बेटे को रजाई में लपेट कर अपनी बदल में सुलाया गया था। यहीं दूसरे पलंग पर उसका पति डॉम सिंह अकेले ही सोया हुआ था। कोई दस बजे तक उसे नींद नहीं आई। टाइम पास करने के लिए सोमनाथ के साथ ख्ोलती रही। बच्चा बेहद चंचल होने पर अपनी मां की गोद में बहुत कम टिकता था। मौका पाते ही चुपचाप सा घर के बाहर निकल पड़ता था। यहीं ख्ूांटे पर बंध्ो बकरी के बच्चे से उसकी खासी दोस्ती थी। दिन में दो - तीन बार वह बच्चे के पास आता था और कान में बोलकर कहता था कि तुझे भूख लगी होगी। बोल क्या खाएगा। कभी हरी घास तो कभी ख्ोत में उगा चारा अपने हाथ से खिलाया करता था।
रात होने पर उसकी मां ही डांट कर उसे बुलाया करती थी। डांटती थी......तू नहीं मानेगा। जब देखों तब बकरी के इस बच्चे को परेशान करता है। मां की डांट पर वह कुछ देर शांत हो जाता था। मगर इसके बाद, वह जब देखता था कि मैया चूल्हे के सामने बैठी है, दबे पांव वहां से खिसक जाता था। वारदात का जहां तक सवाल था, रात के समय ,हमेशां की तरह वह सोमू मां की चुन्नी का पल्ला मुंह में लेकर सो गया था । देर रात आखिर क्या हुआ, पूरे गांव में हंगामा मचा हुआ था। महिला की हालत बावली की सी हो गई थी। अपने पति को आवाज दी। डांट पिलाईà तेरी औलाद गायब है। मगर तुझे शर्म नहीं आती। चबूतरे पर बैठ कर चिलम पीने के लिए बैठ गया। बीबी का गुस्सा देख कर बच्चे के पिता डॉमसिंह घर की बैठक में आया और कई देर तक बच्चे की सूनी पड़ी चारपाई के निकट खड़ा होकर बैठक की दीवार का घूरता रहा।
मैया बताती है कि पहले सोचा था कि शैतान बच्चा यहीं आसपास गया होगा। दोस्तों के साथ ख्ोलता होगा। मगर सुबह का वक्त गुजर गया। दोपहर के समय उसने गांव वालोंे को बुलाया और तमाम वृतांत सुनाया। फिर क्या था कि सोमू को खोजने के लिए कई दस्ते बनाए और रवाना हो गए। संध्या ढल गई थी। हार कर सभी निकट के बमेतरा के पुलिस थाने पर गए और गुमसुदा की रिपोर्ट लिखवा दी। यहां सस्पैंस की बात यह थी कि बच्चे का बाप पुलिस थाने नहीं गया। आखिर क्यों। बात सस्पेंस की होने के बावजूद गांव वालों ने इस बात को अधिक महत्व नहीं दिया।
देर रात के समय जब ग्रामीण सोमनाथ को खोजते हुए श्मशान के निकट बनी एक छतरी की ओर गए तो डॉम सिंह को श्मशान से बाहर निकले देखा। इस बार वह अकेला नहीं था। दो दारूबाज दोस्त भी संग थ्ो। देहातियोें को देखकर वह बोला, किसे खोज रहे हो। सोेनू को। अरे वह तो सुबह के वक्त ही मर गया। उसकी बातों पर विश्वास ना होने पर उसने मनघडंत कहानी गढी। कहता था कि वह जब सुबह उठा तो देखा कि सोनू का शरीर आग की तरह तप रहा था। कहने को उसकी मां वहां उसके चारपाई पर सोई हुई थी, उसे जगाने का प्रयास किया। मगर वह जब नहीं उठी तो वह खुद ही उसे लेकर गांव के नीम हकीम की क्लिनिक पर ले गया। वह कहता था कि फर्जी डॉक्टर ने सोनू को कोई इंजेक्सन लगाया था , तभी कोई पांच मिनट में ही बच्चे ने दम तौड़ दिया। घर मातम का माहौल ना हो इस लिए अपने बेटे के शव को लेकर, दो दोस्तोंं के साथ श्मशान गया और उसकी लाश को जला कर उसे राख मंें बदल डाला।
सोनू की मां रोती रही। पर पति से क्या कहती या पूछती, जानती थी कि वह खुद सोनू से नफरत किया करता था। इस पर उसने चुप रहना ही ठीक समझा। भय के मारे अपने दिल का दर्द किसी क ो नहीं बतया। दो दिन गुजर गए। पुलिस की जांच मामले की खोजबीन कर रही थी। दो संदिग्ध को पकड़ कर उन्हें जम कर पीटा। बदमाशों ने इसके बाद भी अपना मंुह नहीं खोला। यहां पुलिस ने एक तरकीब बरती। सदीड्रेस में डॉ सिंह को घर के बाहर बुलाया और उसे शराब के नश्ो मंे टुंड कर दिया। वह जब आउट हो गया तो उसके सामने सोमू की चर्चा छेड़ी। तभी नश्ोड़ी डॉम सिंह ने सारा घटनाक्रम खोल दिया। वह कहता था कि उसे इस बात का शक था कि उसकी बीबी के किसी के साथ अवैध संबंध थ्ो। सोमू उनकी ही अवैध संतान था। इस बात से वह गुस्से मंें था और अपने दो दोस्तों केसाथ पहले नींद मेंं डूबे सोनू को गोद में उठाया और निकट के अपने ख्ोत में ले जाकर उसे पांव की ओर से उल्टा लटका दिया। तभी सोनू की नींद खुल गई और वह रोने लगा।
मां को पुकारने लगा। बाप को घृणा की नजरोें से देख कर अपने आप को पिता के चंगल से छèुड़वाने का प्रयास करने लगा। मगर डॉम सिंह एक तो नश्ो में था,दूसरा उसका गुस्सा आसमान में होने के चलते सोनू की पिटाई करता रहा। सोनू रोने लगा। पूरा दम लगा कर जोर - जोर से अपनी मां को पुकारने लगा। मगर अधिक समय नहीं। डॉम सिंह ने उसे ख्ोत की पथरीली जमीन पर, उफ..... सिर के बल पटका। ब्रेन की चौट से सोनू का चेहरा खून से सन गया था। साथ ही उसक ी नाक और कान से ब्लड बहने लगा था। कुछ देर छटपटाने के बाद वह शांत होकर निढाल हो गया। डॉम सिंह का गुस्सा इस पर भी शांत नहीं हुआ। घुटनों बल जमीन पर बैठा और दोनोंे के प्रेशर से उसका गला दबा दिया। सोनू मर चुका था। गांव वालों ने तमाम घटना सुन कर पुलिस को इत्तला की। वह जब मौके पर पहुंची तब तक सोनू के शव को जलाया जा चुका था। कोरी राख से कोई ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता था। ऐसे मंे थाने पर बुलाकर उसकी जम कर धुनाई की। मगर डॉम सिंह पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अपने अपराध को कबूल नहीं किया। ऐसे में उसे बिजली का करंट लगाना पड़ गया।
जिसके चलते उसने कुछ ही देर में तमाम अपराध स्वीकार कर लियां। डॉम सिंह के दोनों दोस्त की भी खोजबीन की जा चुकी थी। जरूरी तथ्य एकत्रित कर कोर्ट में उसकी तहरीर पेश करदी। मजिस्ट्रेट ने तीनों को जेल भिजवा दिया। डॉम सिंह की अपे्राच काफी अधिक थी। कई माह तक यह मामला दबा रहा। मगर सच तो सामने आना ही था। डॉम सिंह के दोनों दोस्त सरकारी गवाह बन गए। उनकी गवाही केस के लिए बड़ी महत्वपूर्ण थी। मगर दूसरी ओर सोनू की मां की मानसिक हालत बिगड़ गई थी। रात के समय जब पूरा गांव नींद में खो जाता था, वह अकेली श्मशान में चली जाती थी। सोनू को पुकारती रहती थी। उसका विश्वास था कि सोनू बेशक मर गया हो, मगर उसकी आत्मा आज भी वहीं भटक रही है। एक बार उसके दर्शन हो जाए। उसकी मां पर इतना तो रहम करेगा।