जयपुर। दुनियां में प्यार के बहुत से मामले देखने को मिल जाते है। मगर यह प्रेम कहानी इस कदर विचित्र है जिसने हर किसी को हैरानी हो रही है।
यह स्टोरी हमीर पुर की है। जहां जिले के राड कस्बे में पठान पूरा मौहल्ला गायत्री नगर में एक काश्तकार गयाप्रसाद सोनी के घर से रोने पीटने का स्वर सुनाई देने लगता है। उईसर्दी और कोहरे में यह गांव घिरा हुआ है। अनेक ग्रामवासी अलाव तप रहे है।
ठंडे मौसम का आनंद लेने को चिलम का सूटआ लगाया जा रहा है। इसी बीच रोने सिसकने का स्वर तेज होता जा रहा है। किसी ने कहा यहां तो आवो। गया प्रसाद को क्या होगया। बात चिंता की थी। छोटे से इस गांव में कभी कदार जब भी कोई दुखद घटना होती है। सभी एक जुट होकर उसका मुकाबला करते है। आज भी यही सीन दिखाई दे रहा है। ठंड में कांप कपाता बूढ़ा ग्रामीण,अलाव तप रहे लोगों से कहता है। ज्ञाना बाबा कई दिनों से बीमार चल रहा था। छाती में कफ जाम हो जाने पर सांस लेने में परेशानी होने लगी थी।
शक हुबा कही कोरोणा तो नही हो गया। गांव से कोई दस किलोमीटर दूर सरकारी डिस्पेंसरी में कोरॉना की जांच करवाई थी। रिपोर्ट नील आई तसल्ली के साथ डॉक्टर से दवाई लिखवा कर अपने गांव लोट आए। मगर देर रात बाबा को फिर से सांस की तकलीफ होने लगी। बेटों ने मां से कहां सर्दी बहुत है। टू भी हो गई बीमार तो तुझे कौन सम्हालेगा। टू घर पर ही रह। बाबा को दवाई दिलाकर हम लोट आयेंगे। बाबा हॉस्पिटल पहुंचे की सांस थम गई। बेटे बाबा का शरीर पर लिपट कर रोने लगे। लाश घर लाई गई तब तक पूरा गांव इकट्ठा होगया था। अर्थी की तैयारियां चलने लगी थी। गया राम की घर वाली गोमती बाई तक बात गई तो वह भी विलाप करती हुई बेहोश हो गई।
परिवार वाले परेशान हो गए। किसे सम्हाले । दोनों ही मामले सीरियस थे। इसी बीच महिलाओं का फिर से शोर मचा। पता चला कि बाबा के साथ दादी भी मर गई। क्या करे क्या ना करे। पंचों ने सुझाव दिया। इन के प्रेम का मामला है। इस पर इनका सम्मान किया जाना चाहिए। फिर यही हुवा । दोनों की अर्थी का एक साथ पूजन किया गया । दोनो की शव यात्रा एक ही साथ निकली । समशान में दोनों की लाशों का दाहसंस्कार भी एक साथ किया गया। अस्थिसंग्रह भी एक साथ किया गया। इनके मोक्ष पूजा और अस्थि का पूजन भी साथ साथ किया गया।