Jaipur : शादियों में बने नए ट्रेंड, दूल्हा दुल्हन में शुरू हुआ नखरों का कंपटीशन

Samachar Jagat | Friday, 03 Feb 2023 04:50:22 PM
Jaipur : New trends made in weddings, competition of tantrums started in Dulha Dulhan

जयपुर। मलमास के बाद जयपुर में शादी समारोह की धूम शुरू हो गई । परंपरागत रीति रिवाजों के साथ कुछ नए ट्रेंड भी इस बार देखने को मिल रहे है। जिनमें  दुल्हन के ठुमके। जी हां। मोती डूंगरी के गणेश जी के मंदिर में पिछले बुधवार का सीन है। ब्याह का न्योता देने वालों की भीड़ इस कदर अधिक थी कि लोगों को लंबी लाइनें लगानी पड़ गई । व्यवस्था बनाने के लिए खासी वर्जिस करनी पड़ गई। एक दिलचस्प बात,मॉर्डन दुल्हनों के चलने की अदाएं। घूंघट का जमाना गया। मगर यह मानना पड़ेगा, गणपति भगवान की गरिमा में कोई अंतर नही आया। प्रभु के दरबार में बढ़ती भीड़ इसकी मिसाल कही जा सकती है।

गणपति  को न्योत ने सीन के अलावा और भी जोरदार धमाके देखे जा सकते है। बाधियां लेने वाले,इस बार कुछ ज्यादा देखने को मिल रहे है। विवाह आयोजन के समय सक्रिय रहने वाले केशव भट्ट बताते है कि आजकल तो दुल्हनें डांस करते हुवे वरमाला के लिए पहुंचती है। सोचो जरा। इसमें क्या तुक है। पहले वाली प्रथा तो अब रही ही नही। नाचने और ठुमके की बात छोड़ो। यह ट्रेंड भी पुराना होता जा रहा है। एक नई दिलचस्प घटना में पुरानी बस्ती में एक लडकी घोड़ी पर सवार हो कर विवाह मंडप पर पहुंची  और उसका भावी पति।

याने  मॉर्डन मजनू घोड़ी के पीछे पीछे गुलाब का फूल लेकर चल रहा था। एक जगह तो दूल्हा और दुल्हन हवा में झूलते हुवे स्टेज पर उतर रहे थे। मगर,तभी रस्सी टूट गई।फिर आगे, क्या हुवा मत पूछो । लड़की के पांव में मोच गई। दूल्हे की कमर में चणक। ऐसे में मंडप में फेरे कैसे लगाएं होंगे। यह बात सीरियस हो गई है। अब और मत पूछो। क्या क्या हो रहा है। लड़का लड़की अपनी पसंद की शादी करने लगे है। कोई गोवा भाग रहा है तो कोई अंडमान। आजकल मां बाप का रोल तो खत्म सा हो गया है। पुराने समय तो बड़े अदब से शादियां हुवा करती थी। कई दिनों तक धमाके चलते ही रहते  थे । महिला संगीत तो कई दिनों पहले शुरू हो जाया करता था। मगर अब सारी रस्में एक ही दिन में पूरी करदी जाती है।

अब रिश्तेदारों की पूछ खत्म सी हो गई है। बस दावत खा ओ और अपने घर जाओ। खैर बुजुर्गो का तो लेना देना ही नहीं रहा। ये लो कड़ाई पनीर। बस ये ही अच्छी बनी है। छोले का तो मजा ही किरकिरा कर दिया है।  मसाले की जगह ढेर सारा पानी भर डाला। फिर दावत के आई टामो पर छोटा कसी। ऐसी बाते तो अब आम होती जा रही है। वास्तव में पुरानी और नई ई तरह की शादियों में दिन रात का अंतर आ गया है। तब शादी में बेशक सादगी दिखने को मिलती थी, मगर लड़के वालों की आव भगत पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था। परिवार और संस्कारों पर पूरा वजन दिया जाता था। लड़का और लड़की की शादी का सूत्रधार नाई होता था। उसी के भरोसे लड़की के घर वाले शादी कर दिया करते थे ।

इस दौरान लड़का लड़की के गोत्र,गुण मिलान का भी ध्यान रखा जाता था । पहले शादियों में दो परिवार का मिलान हुवा करता था। अब वो दौर चला गया है। उस वक्त लोग रिश्ते दारो से विवाह योग्य लड़कों के नाम पते पूछा करते थे। अब इसकी जगह ऑनलाइन प्लेटफार्म ने लेली है। फिर यह जयपुर है। शादी समारोह की छकास कमाल की रहती है। यहां की पुरानी बस्ती और ब्रह्म पूरी की बातें तो इतनी ज्यादा है कि जवानी बीत जाए।



 

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