Jaipur : महाभारत काल में पांडवों ने बनाया था काल भरव का चमत्कारिक मंदिर

Samachar Jagat | Wednesday, 16 Nov 2022 04:22:12 PM
Jaipur : Pandavas had built the miraculous temple of Kaal Bharva during the Mahabharata period

जयपुर। प्राचीन श्री बटुक भरव मंदिर पांडवों द्बारा बनाए गए मंदिरों में सर्व प्रथम है। जिनके विग्रह में भरव बाबा का चेहरा और दो बड़ी- बड़ी आंख के साथ बाबा का त्रिशूल नजर आता है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने किले की सुरक्षा के लिए कई बार यज्ञ का आयोजन किया था। लेकिन राक्षस यज्ञ को बार- बार भंग कर दिया करते थ्। तब भगवान श्री कृष्ण ने सुझाव दिया कि किले की सुरक्षा के लिए भगवान भरव को किले में स्थापि त करे। इस पर भीम ने बाबा की अराधना की और बाब को इन्द्रप्रस्थ चलने का आग्रह किया। 

बाबाने भीम से कहा , जहां भी उन्हें रख देंगे वे वहीं विराजमान हो जाएंगे। भीम ने बाबा को कंध पर बिठा कर इन्द्रप्रस्थ के लिए चल दिए। रास्ते में किसी कारणवश भीम ने बाबा को किसी मुसाफिर को थोड़ी देर के लिए देना पड़ा। लेकिन मुसाफिर भीम के आने का इंतजार किए बिना ही भ्ौरव जी को कुंए के किनारे पर बैठा कर चल दिया। भीम जब लौट कर आया तो उन्होने भरव जी को उठाने का बहुत प्रयास किया। मगर वह सफल नहीं हो सका। भीम ने बाबा से फिर से आग्रह किया और कहां की मं अपने भाईयों को वचन देकर आया हूं। इस पर भीम की प्रार्थना करने पर भरव बाबा ने अपनी जटाए खोल दी और कहा कि इन जटाओं को अपने किले के पास स्थापित कर देना , संकट के समय ये जटाएं किलकारी करेंगी और मैं तुम्हारी रक्षा के लिए आ जाऊंगा। वही मंदिर आज भी किलकारी बाबा व नाथ के नाम से जाना जाता है। प्राचीन श्री बटुक मंदिर पांडवो के द्बारा बनाए गए मंदिर में सर्व प्रथम है। जिनके विग्रह मेंं बाबा भरव बाबा का चेहरा और दो बड़ी-बड़ी आंखों केसाथ बाबा का त्रिशूल दिखाई पड़ता है। 

हिन्दू धर्म में भगवान भरव का बहुत ही महत्व है। उन्हें काशी के कोतवाल के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इनकी शक्ति का नाम है, भरवी गिरिजा जो अपने उपासकों की अभिष्ट दायिनी है, इनके दो स्वरूप है। पहला बटूक भरव जो भक्तो को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है। वहीं काल भरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले वाले भयंकर दंडनायक है। ऐसी मान्यता है कि भरव शब्द से तीन अक्षरों में ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भ्ौरव, शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते है। सच्च् मन से जो भी इनकी उपासना करता है, उसकी सुरक्षा का भार वे स्वयं उठाते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। साथ ही भ्ौरव जी की पूजा से भूत- प्रेत , नकारात्मक शक्तियां और उसकी बाधा आदि जैसी समस्याएं दूर होती है। 

भगवान भैरव को कैसे प्रसन्न किया जाए इस दिन काल भैरव की पूजा आदि करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति प्राप्त होती है। इतना ही नहीं इनकी पूजा करने से यह बाधा और शत्रु बाधा दोनों से ही मुक्ति मिलती है। इनकी अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए कालाष्टमी के दिन भगवान भ्ौरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। भगवान भ्ौरव को काले जिल, उड़द और सरसों का तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर प्रतिमा के आगे अर्पित करना चाहिए। साथ ही मंत्रों चार के साथ उनकी विधिवत पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा प्राप्त होती है। 

इस दिन श्रद्धानुसार साबूत बिल्व प्रत्रों पर लाल या सफेद चंदन से और नम: शिवाए लिखकर शिव लिंग पर चढाए। बिल्वपत्र अर्पित करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करें। इस तरह पूजा करने से काल भैरव  प्रसन्न होकर भक्त ही मनोकामना पूरी करते हैं।  भगवान काल भैरव की उपासना से भूतप्रेत एवं ऊपरी बाधाएं दूर होती है। सभी नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन ओम काल भ्ौरवाय नम: का जप एवं कल भैरव  का पाठ करना चाहिए। भ्ौरव की कृपा पाने के लिए इस दिन किसी भी भैरव  मंदिर में गुलाब चंदन बौर गुगल की खुशबुदार अगबत्ती जलाएं। पांच सात नींबू की माला भ्ौरव जी को चढाएं। गरीब और बेसहारा लोंगो को कर्म कपड़े दान किए जाते है। इस पर भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।



 

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