Jaipur : असल सांप आया तो तांत्रिक का बिगड़ा खेल

Samachar Jagat | Monday, 16 Jan 2023 05:33:24 PM
Jaipur :  When the real snake came, the tantrik's game got messed up.

जयपुर। देहात हो या कच्ची बस्ती, सांप का निकलना और किसी को डंस लेना,कोई नई बात नहीं है,मगर कुछ लोगों ने सर्प दंश को धंधा बना रखी है। देहात में ऐसा कोई झाड़ झंकड़ वाली जगह जाकर वहां के वसिंदों को डराते है कि तुम्हारे गांव में खतरनाक कोबरा सांप घुस गया है। सांप विषेला है। दो चार लोगों की जान लेने वाला है। मामला सांप का है।

फिर उससे जुड़ी मौत का होने पर अच्छे खासे सक्स की हवा खराब हो जाती है।बस इसी में तांत्रिक की ठगी सफल हो जाती है। एक ही मामले में आराम से दस बीस हजार रुपिया ठग जाता है। इसी तरह का एक दिलचस्प मामला पिछले दिनों देखने को मिला है। घटना इस तरह शुरू होती है।  एस एम एस की आपात चिकित्सा इकाई में रात सात आठ के बीच मरीजों की भीड़ कुछ ज्यादा ही जाति है। एक से एक सीरियस पेसेंट होने पर चिकित्सकों को सांस लेने की फुरसत नहीं मिल पाती है।

यह केस सांगानेर के निकट, एक गांव का है। इकाई के बाहर खुर्रे पर कोई जीप रुकती है। कोई पांच छः देहाती लोग गाड़ी से कूदते है। इनमें एक की गोद में कोई चार पांच साल की बच्ची है। बेहोसी की हालत में है। दोनों हाथ पांव नीचे की ओर लटकते हुवे। मुंह से झाग निकले हुवे। जाहिर तोर पर केस सीरियस लगता है। बच्ची को सीधा सीपीआरयू रूम में ले जाया जाता है।चिकित्सक चैक करता है। पहले नब्ज फिर आखों की पुतली। सीने में इलेक्ट्रिक झटका दिया जाता है। मगर जवाब, सॉरी नो मोर। मर चुकी है। रोना पीटना मैच जाता है । दूसरी ओर वार्ड ब्वाय वहां खड़ी ट्रॉली लाकर बच्ची का शव मुर्दा घर पहुंचा देता है।

देहाती बताते है। घर में काला नाग निकला था। आंगन में खेल रहे मासूम बच्चे को डंस गया। गांव में ही तेजाजी के चबूतरे पर ले गए थे। झाड़ा टोटका काम नहीं आया। फिर डिस्पेंसरी ले गए। डाक्टर जी घर पर ही थे। तुरंत चैकप किया। फिर बताया फोरन जयपुर ले जाय। इसका बचना मुश्किल सा लग रहा है। देर नहीं। बात वात बाद में होती रहेगी। झाड़े बाड़ी में घंटा भर खराब हो गया। इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर ने डांटा , आप लोगों की लापरवाही ने जान लेली बच्चे की। ओर जाओ झाड़ा लगवाने। बात सही थी। रात भर मुर्दा घर के बाहर अलाव तपते रहे। पोस्टमार्टम के चक्कर में सूरज सिर पर आगया। बच्चे की मौत का शोरगुल बहुत हो गया था। तभी संध्या के समय एक युवक गांव में आया। सांप डंसने का मामला देख कर, गांव के लोगों से बात चीत करने लगा।

 इसी बीच मौका पाकर अपने आप को सांप पकड़ने वाला तांत्रिक बताया। युवक की उम्र अधिक नहीं थी। कोई चालीस साल का होगा। ललाट पर चंदन से त्रिशूल बनाया हवा था। हाथ में कोई साधारण सी माला लिए। तेज स्वर में मंत्राचार। गांव के मुखिया की उस पर नजर पड़ी,बोले, कौन है बे। युवक के पास बैठा एक देहाती बोला,सांप पकड़ने वाला है। कहता है, खतरनाक से खतरनाक सांप पकड़े है। हमारे यहां का सांप भी निकाल कर अपने साथ ले जायेगा । लोगों में सलाह मसोरा चलता रहा। युवक से बातचीत होने लगी। मुखिया बोला,धर्म का काम है। सांप पकड़ में आना चाहिए। आप जा दिल खुश कर दिया जाएगा।

युवक बीच में बात कटकर कहने लगा। मेरे भी बीबी बच्चे है। उनका भी पेट भरना होता है। इस काम के लिए कम से कम दस हजार रुपए लेगा। आखिर में सौदा पांच हजार में तय हो गया। युवक तैयारी करने लगा। वहां खड़ी महिला से लोटा भर पानी लाने को कहा । इसे हाथ में लेकर,मंत्रों चार पढ़ने लगा। फिर सांप वाली जगह,घूम घूम कर,जोर जोर से, काल महा काल। फिर सपेरों वाली पुंगी बजाने लगा । फिर भीड़ की ओर मुंह करके तेज स्वर में बोला, आप लोग जरा पीछे होकर बैठ जाए। नाग देवता गुस्से वाला है। किसी पर झपट गया तो मुझे दोष नहीं देना।

मौत से कौन नहीं डरता। मुखिया चिल्लाया। भय के मारे सभी पीछे की ओर।चबूतरे पर बैठ गए। झाड़ में सांप था या नहीं किसी को क्या पता। मगर अपनी कमर में लपेटा जहर निकला सांप हाथ में लेकर,अपनी डींग मारने लगा। गांव वाले खुश हो गए। तालियां बजाने लगे। इसी बीच बच्चों ने शोर मचाया, सांप सांप। एक और सांप आगया। पांच फुट से भी ज्यादा। हल्के भूरे रंग का। उसकी फुफकार। बाप री बाप। युवा तांत्रिक को सभी ने आ घेरा। शोर मचाने लगे। बाबा जिंदाबाद। तांत्रिक की हालत खराब हो गई। बहाने बाजी करने लगा। गांव वाले भी समझ गए,फर्जी तांत्रिक है। अपने साथ सपेरों वाला,जहर निकला सांप ले आया। अब कहता है मैने कोबरा पकड़ लिया।सच तो यह था की असल वाला सांप तो अब निकला।

ले चलो इसे अपने साथ। जहरीले सांप का मजा चखाया जाय। युवक रोने लगा। कहता था, में तो पेट भरने के लिए यह खेल करता हूं। वरना तंत्र विद्या से मेरा क्या लेना देना। इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी। थानेदार जी ने हाथ में लिए डंडे को गोल गोल घुमाया। फिर उसे सूत डाला। वहीं निकट ही उसकी घर वाली गोद में छो टा बच्चा लिए खड़ी थी। थानेदार जी के पांव पकड़ लिए। तोबा तोबा की। फिर गांव वालों को भी दया आ गई । सबके सामने उठक बैठक कर ने की सजा देकर वहां से भगा दिया। रहा सवाल दूसरे जहरीले सांप का। भीड़ भाड़ देख कर भाग गया।



 

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