Kerala High Court ने तबादला आदेश के खिलाफ सत्र न्यायाधीश की याचिका खारिज की

Samachar Jagat | Thursday, 01 Sep 2022 04:37:34 PM
Kerala High Court dismisses sessions judge's plea against transfer order

कोच्चि : यौन उत्पीड़न के दो मामलों में एक आरोपी को जमानत देते समय अपने आदेश में विवादास्पद टिप्पणी करने वाले सत्र न्यायाधीश की तबादला आदेश के खिलाफ दायर याचिका को केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया न्यायमूर्ति अनु शिवरमण ने कहा कि स्थानांतरण किसी सेवा का एक हिस्सा होता है और कैडर संबंधी पद पर तबादले के आदेश को किसी पदाधिकारी द्बारा इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि वह किसी भी तरह से इससे व्यथित है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि स्थानांतरण आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी का पद -जिस पर सत्र न्यायाधीश एस कृष्णकुमार को स्थानांतरित किया गया है, जिला न्यायाधीश के पद के बराबर है।
अदालत ने कहा कि न्यायाधीश एस कृष्णकुमार ने स्थानांतरण के कारण कोई कानूनी अधिकार नहीं खोया है और उनके पास नियुक्ति के स्थान पर काम करने का दायित्व है। कृष्णकुमार (59) ने अपनी याचिका में कहा था कि वह छह जून, 2022 से कोझिकोड के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे तथा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार द्बारा जारी उनका तबादला आदेश स्थानांतरण मानदंडों के खिलाफ है।

उन्होंने तर्क दिया था कि स्थानांतरण मानदंडों के अनुसार, वह 31 मई, 2023 को अपनी सेवानिवृत्ति तक प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश, कोझिकोड के रूप में बने रहने के हकदार हैं। न्यायाधीश ने याचिका में कहा था, ’’न्यायिक कर्तव्य का निर्वहन करते हुए पारित गलत आदेश स्थानांतरण का आधार नहीं हो सकता।’’ यौन शोषण के दो मामलों में आरोपी लेखक एवं कार्यकताã 'सिविक’ चंद्रन की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर पीड़िताओं के संबंध में न्यायाधीश कृष्ण कुमार द्बारा की गई टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया था।

मामले में चंद्रन को जमानत देते समय कृष्णकुमार ने दो अगस्त के अपने आदेश में कहा था कि आरोपी एक सुधारवादी है और जाति व्यवस्था के खिलाफ है तथा यह बिलकुल अविश्वसनीय है कि वह पूरी तरह यह पता होने के बावजूद पीड़िता के शरीर को छुएगा कि वह अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है। न्यायाधीश ने यौन उत्पीड़न के एक अन्य मामले में चंद्रन द्बारा दायर जमानत अर्जी पर उसे जमानत देते समय पीड़िता के पहनावे के बारे में भी विवादास्पद टिप्पणी की थी।

उन्होंने 12 अगस्त के अपने आदेश में कहा था कि जमानत अर्जी के साथ आरोपी द्बारा पेश की गई शिकायतकर्ता की तस्वीर से पता चलता है कि उसने खुद यौन उत्तेजक कपड़े पहन रखे थे और यह विश्वास करना असंभव है कि 74 वर्षीय शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति कभी अपराध करेगा। केरल सरकार ने दोनों मामलों में 'सिविक' चंद्रन को जमानत देने के सत्र अदालत के आदेशों को रद्द करने का आग्रह करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है। 



 

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