नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत कार्यवाही का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वरिष्ठ नागरिक अपना बुढ़ापा बच्चों के बीच निरंतर कलह एवं झगड़ों का सामना किए बिना शांति से व्यतीत कर सकें। अदालत ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों का शांतिपूर्ण अस्तित्व बच्चों के बीच झगड़ों से प्रभावित होगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि 2007 के अधिनियम के तहत कार्यवाही नागरिक अधिकारों से संबंधित नहीं है, जिसका दावा भाइयों और परिवार के सदस्यों द्बारा संपत्ति पर दावे के लिए किया जा सके।
उच्च न्यायालय ने यह आदेश दो व्यक्तियों द्बारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए दिया। उक्त दोनों व्यक्तियों ने संभागीय आयुक्त द्बारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की थी जिन्होंने दोनों को उनके पिता के घर से बेदखल करने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा, ''एसडीएम (उप जिला मजिस्ट्रेट) ने इस आरोप पर भी ध्यान दिया कि यहां याचिकाकर्ता (दो बेटे) वरिष्ठ नागरिक (पिता) की देखभाल नहीं करने के अलावा उनके और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मारपीट भी करते थे।’’ न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, ''इन तथ्यों ने प्राधिकारियों को 2007 के अधिनियम के तहत बेदखली के आदेश तैयार करने के लिए प्रेरित किया।’’ उच्च न्यायालय ने संभागीय आयुक्त के बेदखली आदेश को चुनौती देने वाली दोनों बेटों की याचिका खारिज कर दी और कहा कि आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।